नई दिल्ली: भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं, जो हमें उनके जीवन की महत्ता और धर्म के प्रति उनके योगदान की कहानियाँ सुनाती हैं। ऐसी ही एक प्रचलित कथा है जहां भगवान श्रीकृष्ण को गौहत्या का पाप लगा, और इस पाप से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने एक विशेष कुंड में स्नान किया। इस कहानी का गहरा सांकेतिक और धार्मिक महत्व है, जो आज भी श्रद्धालुओं और भक्तों के मन में विशेष स्थान रखता है।
कहानी के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में अनेक असुरों का संहार किया, उनमें से एक असुर वृषासुर भी था। वृषासुर, एक शक्तिशाली असुर था जिसने गाय का रूप धारण कर लिया था और श्रीकृष्ण के प्रियजनों पर संकट ला रहा था। धर्म की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण ने वृषासुर का वध किया, लेकिन इस वध के कारण उन्हें ‘गौहत्या’ का दोष लगा, क्योंकि वृषासुर गाय का रूप धारण करके उनसे लड़ने आया था।
गौहत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए श्रीकृष्ण ने कई धार्मिक स्थानों पर भ्रमण किया। ऐसा कहा जाता है कि अंततः वे एक विशेष कुंड श्रीकृष्ण ने का निर्माण किया, जिसे आज ‘राधा श्याम कुंड’ के नाम से जाना जाता है। इस कुंड का उल्लेख पौराणिक ग्रंथों में भी मिलता है। मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने इस कुंड में स्नान किया और इस स्नान से उन्हें गौहत्या के पाप से मुक्ति मिली।
श्रीकृष्ण कुंड का धार्मिक महत्व अत्यंत विशाल है। यह कुंड उत्तर प्रदेश के मथुरा में स्थित है और यहां प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु स्नान करने के लिए आते हैं। यह विश्वास किया जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में शांति की प्राप्ति होती है। जन्माष्टमी के अवसर पर यहाँ का माहौल भक्ति और श्रद्धा से भर जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण की इस कथा से यह संदेश मिलता है कि धर्म की रक्षा के लिए किए गए कार्य भी यदि किसी के प्रति अन्याय के रूप में प्रतीत होते हैं, तो उनसे मुक्ति पाने के लिए स्वयं परिश्रम करना होता है। यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि पाप से मुक्ति के लिए भगवान भी अपने कर्मों का परिमार्जन करते हैं, और हमें भी अपने दोषों से मुक्त होने का प्रयास करना चाहिए।
पौराणिक ग्रंथों और विशेष रूप से श्रीमद्भागवत में श्रीकृष्ण की इस कथा का उल्लेख मिलता है। यह कथा हमें बताती है कि भगवान ने सदैव धर्म का साथ दिया और पाप से मुक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। इस पौराणिक स्थल का महत्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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