Falgun Purnima 2020 Date: फाल्गुन पूर्णिमा की तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व, क्या है होली से संबंध

Falgun Purnima 2020 Date: फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अराधना की जाती है. इस दिन को मां लक्ष्मी की जंयती के रूप में भी मनाया जाता है. फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ही होलिका दहन का विधान है. इस वजह से यह पूर्णिमा शुभ और लाभकारी बताई जाती है.

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Falgun Purnima 2020 Date: फाल्गुन पूर्णिमा की तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व, क्या है होली से संबंध

Aanchal Pandey

  • February 12, 2020 1:57 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. Falgun Purnima 2020 Date: विष्णु भगवान की फाल्गुन पूर्णिमा के दिन पूजा-अराधना की जाती है. इस दिन मां लक्ष्मी की जंयती के रूप में भी मनाया जाता है. फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ही होलिका दहन का विधान है. इस वजह से यह पूर्णिमा शुभ और लाभकारी बताई जाती है. इस साल फाल्गुन तिथि 9 मार्च को पड़ रही है जिसका शुभ मुहू्र्त सुबह 3 बजकर 3 मिनट से शुरू होकर रात 11 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा.

फाल्गुन पू्र्णिमा का महत्व
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन मास साल का आखिरी दिन माना जाता है. इस पूर्णिमा से चैत्र मास और हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है. फाल्गुन मास की पूर्णिमा को काफी ज्यादा महत्व दिया गया है. इसी दिन होलिका दहन किया जाता है जिसकी वजह से फाल्गुन मास की पूर्णिमा अति विशेष और लाभप्रद मानी जाती है. इस दिन सूर्य उगने से लेकर डूबने तक व्रत किया जाता है.

मान्यता है कि इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति के जीवन में सुखों की प्राप्ति होती है और मरने के बाद बैंकुठ धाम की प्राप्ति होती है. फाल्गुन मास के अगले दिन रंगों के साथ होली का त्योहार मनाया जाता है. साथ ही इस दिन लक्ष्मी जयंती भी मनाई जाती है. फाल्गुन पूर्णिमा के दिन विष्णु जी और मां लक्ष्मी की पूजा उत्तम मानी गई है.

फाल्गुन पूर्णिमा की पूजा विधि
फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मुख्य रूप से होलिका का पूजन और भगवान नरसिंह की पूजा की जाती है. इस दिन सुबह के समय स्नान के बाद साफ कपड़े पहने और उत्तर या पूर्व की ओर मुख करके होलिका का पूजन करें. होलिका पूजन से पहले गोबर से होलिका बनाएं जिसके बाद थाली में रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, साबुत हल्दी, बताशे, फल और एक लोटा पानी भर लें.

पूजा की सभी सामग्री एकचित्र करने के बाद भगवान नरसिंह का ध्यान करें. नरसिंह भगवान का ध्यान करने के बाद रोली, चावल, फूल, बताशे अर्पित करें और मौली को होलिका के चारों और लपेट दें. होलिका पर प्रह्वाद का नाम लेकर फूल चढ़ाएं. नरसिंह भगवान का नाम लेते हुए पांच अनाज चढ़ाएं. सभी पूजा विधि संपन्न होने के बाद होलिका दहन करें और उसकी परिक्रमा करें. फिर होलिका की अग्नि में गुलाल डालें और घर के बुजुर्गों के पैरों में गुलाल लेकर उनका आशीर्वाद लें. आखिरी में अग्नि में गेहूं की बालें भूंदकर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को बधाई दें.

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