नई दिल्ली। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन आकाश में चंद्रमा उदय नहीं होता है। प्रत्येक अमावस्या तिथि का अपना धार्मिक महत्व है। ये तिथि हर महीने कृष्ण पक्ष के पंद्रहवें दिन पर आती है। ऐसे में अमावस्या का दिन पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बेहद उत्तम माना जाता है। साथ ही ये दिन भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए भी काफी विशेष माना गया है।
यही नहीं, अमावस्या के दिन स्नान-दान का बहुत महत्व है। साथ ही पितरों के निमित्त तर्पण एवं दान करना शुभ फलदायक माना जाता है। इस समय फाल्गुन मास चल रहा है। आइए जानते हैं कि इस महीने की अमावस्या तिथि (Falgun Amavasya 2024) कब है? साथ ही जानते हैं इस दिन स्नान-दान का शुभ मुहूर्त।
फाल्गुन माह की अमावस्या- 10 मार्च 2024, रविवार
फाल्गुन माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत – 9 मार्च 2024, शनिवार को शाम 6 बजकर 17 मिनट से प्रारंभ।
फाल्गुन माह की अमावस्या तिथि का समापन – 10 मार्च 2024, रविवार को दोपहर 2 बजकर 29 मिनट पर समाप्त।
बता दें कि हिंदू पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन माह की अमावस्या(Falgun Amavasya 2024) के दिन स्नान-दान का शुभ मुहूर्त 10 मार्च 2024 दिन रविवार को प्रातः 4 बजकर 49 मिनट से सुबह 5 बजकर 48 मिनट तक माना जा रहा है। अमावस्या की उदया तिथि 10 मार्च 2024 को मान्य होगी, इस वजह से इसी दिन ही स्नान-दान किया जाएगा।
हिंदू धर्म के अनुसार, अमावस्या तिथि को पितरों की शांति और पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। फाल्गुन माह की यह अमावस्या तिथि हिंदू धर्म में बहुत मायने रखती है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस दिन तीर्थ स्नान और दान करते हैं उनके समस्त पाप मिट जाते हैं। जो लोग पितृ पक्ष पर अपने पितरों का श्राद्ध कर्म नहीं कर पाते हैं, उन्हें अमावस्या के दिन विधि पूर्वक पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रत्येक अमावस्या को जल से तर्पण और उनके निमित्त कर्मकांडी पंडित को श्रद्धानुसार दान-दक्षिणा देना चाहिए। साथ ही जरूरतमंदों को अनाज और जरूरत की चीजें दान करने से पितृ दोष से छुटकारा मिल जाता है। इसके अलावा, इस दिन भगवान विष्णु की अराधना करने से भी शुभ फल प्राप्त होते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। जिसका किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं की गई है। यहां दी गई किसी भी जानकारी या मान्यता पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)
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