उत्पन्ना एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति और पापों के नाश के लिए किया जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को खास नियमों का पालन करना चाहिए, ताकि व्रत का पूर्ण फल मिल सके। व्रत के दौरान खानपान और आचरण से जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
नई दिल्ली: उत्पन्ना एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति और पापों के नाश के लिए किया जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को खास नियमों का पालन करना चाहिए, ताकि व्रत का पूर्ण फल मिल सके। व्रत के दौरान खानपान और आचरण से जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
1. फल और मेवे: सेब, केला, अनार, पपीता, और सूखे मेवे जैसे बादाम, अखरोट आदि।
2. साबूदाना: साबूदाना खिचड़ी या पापड़।
3. सिंघाड़े का आटा: इससे बनी रोटी या हलवा।
4. मखाने: दूध के साथ या हलवा बनाकर।
5. दूध और दही: ताजे दूध और दही का सेवन करें।
6. व्रत का नमक: सेंधा नमक का ही उपयोग करें।
7. आलू और कच्चे केले: इनसे बनी कचौड़ी, चिप्स, या सब्जी।
1. अनाज और दाल: चावल, गेहूं, और दालों से बनी चीजें न खाएं।
2. प्याज और लहसुन: ये तामसिक भोजन की श्रेणी में आते हैं।
3. मसालेदार भोजन: मिर्च-मसाले से बचें।
4. मांस और मदिरा: किसी भी प्रकार का मांस और नशीले पदार्थ वर्जित हैं।
5. तले-भुने खाद्य पदार्थ: अधिक तेल वाले भोजन से परहेज करें।
6. डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ: पैकेज्ड या प्रोसेस्ड फूड न खाएं।
व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु की पूजा करें। व्रत में मन, वचन, और कर्म से पवित्रता बनाए रखें। दूसरों की मदद करें और जरूरतमंदों को दान दें। क्रोध, झूठ, और कटु वचन से बचें। यदि संभव हो तो दिनभर जलाहार या फलाहार पर रहें। व्रत का पारण द्वादशी तिथि के सूर्योदय के बाद किया जाता है। इस समय हल्का सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।
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