नई दिल्ली: हिंदू धर्म में अक्षय नवमी का विशेष महत्व है। इसे “आंवला नवमी” के नाम से भी जाना जाता है और यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए पुण्य कर्म और दान का फल अनंत काल तक बना रहता है। विशेष रूप से इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है और इसके नीचे भोजन करने का विशेष महत्व होता है।
पुराणों के अनुसार, अक्षय नवमी के दिन सतयुग का प्रारंभ हुआ था। इसे सतयुग की स्थापना का प्रतीक भी माना जाता है। इस दिन विशेष पूजा, व्रत और दान करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करते हैं, उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
1. आंवले के वृक्ष की पूजा: अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। एक लोटा जल में गंगाजल मिलाकर आंवले के पेड़ की जड़ में अर्पित करें। इसके बाद दीपक जलाकर भगवान विष्णु और आंवला वृक्ष का ध्यान करें।
2. दान-पुण्य का महत्व: अक्षय नवमी के दिन अन्न, वस्त्र, धन और जरूरतमंदों को भोजन दान करना चाहिए। यह माना जाता है कि इस दिन किए गए दान का फल अनंतकाल तक अक्षय रहता है। गरीबों को भोजन कराना और गौदान करना अत्यंत फलदायी माना गया है।
3. सात्विक भोजन का सेवन: इस दिन सात्विक भोजन का सेवन करें और मसालेदार या तामसिक भोजन से परहेज करें। सात्विक भोजन से शरीर और मन शुद्ध रहता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
4. भजन-कीर्तन और ध्यान: अक्षय नवमी के दिन भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन और ध्यान करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है। साथ ही, भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, जैसे – “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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