नई दिल्ली: बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है, जिसमें भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। 00बैकुंठ चतुर्दशी-को लेकर मान्यता है कि जो भक्त इस दिन विशेष उपाय करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सभी परेशानियां दूर होती हैं। […]
नई दिल्ली: बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है, जिसमें भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। 00बैकुंठ चतुर्दशी-को लेकर मान्यता है कि जो भक्त इस दिन विशेष उपाय करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सभी परेशानियां दूर होती हैं। इस बार बैकुंठ चतुर्दशी 14 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं इस दिन के 5 सरल और प्रभावशाली उपाय, जिन्हें करने से श्रीहरि विष्णु और महादेव प्रसन्न होंगे और आपकी सभी समस्याएं हल होंगी।
बैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी और शंख का विशेष महत्व होता है। बैकुंठ चतुर्दशी-को लेकर मान्यता है कि इस दिन तुलसी और शंख से भगवान विष्णु को अर्पण करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। पूजा में भगवान विष्णु को शंख में जल भरकर स्नान कराएं और तुलसी के पत्तों का अर्पण करें।
बैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान शिव की पूजा के लिए शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से वे हर विपत्ति और कठिनाई को दूर करते हैं। बेलपत्र अर्पित करते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
इस दिन व्रत रखने का भी विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि बैकुंठ चतुर्दशी का व्रत रखने से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। व्रत के दौरान भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करें और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें।
बैकुंठ चतुर्दशी की रात को तुलसी के पौधे के पास दीप जलाना शुभ होता है। इस दौरान “विष्णु सहस्रनाम” या “शिव चालीसा” का पाठ करें। ऐसा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और नकारात्मकता दूर होती है। दीप जलाकर पाठ करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
बैकुंठ चतुर्दशी पर दान का विशेष महत्व है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, या धन का दान करें। इससे आपकी कठिनाइयां दूर होती हैं और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। दान-पुण्य से न केवल मन में संतोष आता है, बल्कि यह शुभ फल भी प्रदान करता है।
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