नई दिल्ली: वास्तु शास्त्र में दर्पण का विशेष महत्व है। घर में सही जगह पर दर्पण लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और इसका प्रभाव घर के सदस्यों के जीवन पर भी पड़ता है। लेकिन अगर दर्पण को गलत जगह पर लगाया जाए, तो यह नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है और कई समस्याओं का कारण बन सकता है। आइए जानते हैं कि दर्पण लगाते समय किन गलतियों से बचना चाहिए और इसके पीछे के वास्तु नियम क्या हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, मुख्य द्वार के सामने दर्पण लगाना अशुभ माना जाता है। मुख्य द्वार से प्रवेश करने वाली सकारात्मक ऊर्जा दर्पण से टकराकर वापस चली जाती है, जिससे घर में नकारात्मकता का प्रवाह बढ़ सकता है। इस गलती से बचने के लिए, मुख्य द्वार के सामने दर्पण लगाने से बचें।
सोने के कमरे में दर्पण लगाते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। बिस्तर के सामने दर्पण लगाने से वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है। इसका प्रभाव नींद पर पड़ सकता है और इससे अनिद्रा, तनाव और मानसिक अस्थिरता जैसी समस्याएं हो सकती हैं। बिस्तर के सामने दर्पण लगाने की बजाय, इसे कमरे के किसी ऐसे स्थान पर लगाएं जहां से यह सीधे बिस्तर पर न दिखे।
वास्तु शास्त्र में टूटा हुआ या धुंधला दर्पण अशुभ माना जाता है। ऐसा दर्पण न केवल नकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, बल्कि इससे घर के सदस्यों की सेहत और मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है। यदि आपके घर में कोई टूटा हुआ या धुंधला दर्पण है, तो उसे तुरंत हटा दें और उसकी जगह नया और साफ-सुथरा दर्पण लगाएं।
दर्पण को हमेशा साफ और चमकदार रखना चाहिए। गंदा और धूलभरा दर्पण नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और इससे घर की समृद्धि और सौभाग्य में कमी आ सकती है। नियमित रूप से दर्पण की सफाई करना न भूलें और इसे साफ कपड़े से पोंछें।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, सीढ़ियों के सामने दर्पण लगाने से घर की ऊर्जा का असंतुलन हो सकता है। सीढ़ियाँ घर में ऊर्जा के प्रवाह का महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं, और दर्पण इसे बाधित कर सकता है। इसलिए, यह सुनिश्चित करें कि सीढ़ियों के सामने दर्पण न लगाया जाए।
रसोई में दर्पण लगाने से भी बचना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोई में दर्पण लगाने से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है और घर के सदस्यों के स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है। यदि रसोई में दर्पण लगाना बहुत जरूरी हो, तो इसे उस स्थान पर लगाएं जहां से चूल्हा या खाने की वस्तुएं दिखाई न दें।
दर्पण लगाते समय उसकी ऊंचाई और दिशा का भी ध्यान रखना जरूरी है। दर्पण को हमेशा इस तरह लगाएं कि उसमें घर के सदस्यों का पूरा प्रतिबिंब दिखे। दर्पण को इस प्रकार लगाना चाहिए कि वह दक्षिण दिशा से बचा रहे, क्योंकि दक्षिण दिशा में दर्पण लगाना वास्तु दोष का कारण बन सकता है।
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