नई दिल्ली: दिवाली का पर्व पूरे देश में 31 अक्टूबर को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। इस अवसर पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का खास महत्व होता है। बता दें लोग अपने घरों को सजाने और दीयों से रोशन करने के लिए कई दिनों पहले से तैयारियों में जुट जाते हैं। […]
नई दिल्ली: दिवाली का पर्व पूरे देश में 31 अक्टूबर को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। इस अवसर पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का खास महत्व होता है। बता दें लोग अपने घरों को सजाने और दीयों से रोशन करने के लिए कई दिनों पहले से तैयारियों में जुट जाते हैं। कार्तिक मास की अमावस्या पर मनाया जाने वाला दिवाली पर्व हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है और इस दिन घरों में दीयों को जलाकर इस त्यौहार को धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन क्या अपने कभी सोचा है कि दीये को जलाने के बाद उनको क्यों नहीं फेकना चाहिए।
कहा जाता है कि दिवाली के दीपक साधारण नहीं होते। ऐसा इसलिए क्योंकि इन दीयों को पूजा में उपयोग किया जाता है और इनमें मां लक्ष्मी का वास माना जाता है। वहीं पूजा के बाद इन दीयों को कचरे में फेंकना शुभ नहीं माना जाता है। बता दें यह अशुभ हो सकता है और इससे घर में अशांति का मौहाल भी पैदा हो सकता है.
1. मंदिर में उपयोग: दिवाली के बाद पुराने दीयों को मंदिर में ले जाकर वहां दोबारा कर सकते हैं। इससे धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आपको शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं।
2. नदी में विसर्जन: पूजा के मुख्य दीयों को पास की नदी, तालाब में विसर्जित करना शुभ माना जाता है। इससे घर की नकारात्मकता दूर होती है और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
3. मिट्टी में दबाएं: आप दीयों को पेड़ के नीचे या मिट्टी में भी दबा सकते हैं। यह पर्यावरण के लिए भी अच्छा है और पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार भी यह शुभ माना जाता है।
4. गरीबों को दान करें: जिन दीयों को आप दोबारा उपयोग नहीं करना चाहते, उन्हें कुम्हार या जरूरतमंदों को दान कर सकते हैं।
5. दोबारा सजावट के लिए उपयोग: पुराने, बिना खंडित दीयों का उपयोग घर की सजावट में कर सकते हैं। इन्हें बालकनी, आंगन या छत पर जलाकर घर को रोशन किया जा सकता है।
6. अलग स्थान पर रखें: यदि आपके पास नदी या तालाब नहीं है, तो इन दीयों को घर में ऐसी जगह रखें, जहां वे दूसरों की नजर में न आएं। यह घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने में सहायक होता है।
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