नई दिल्ली. दिवाली बहुत बड़ा त्योहार है और देश भर में इसे बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है, पांच दिनों तक चलने वाले इस त्योहार की शुरुआत धनतेरस से होती है और इसके अगले दिन छोटी दिवाली उर्फ़ नरक चतुर्दशी और उसके अगले दिन दिवाली मनाई जाती है. दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है और इसके अगले दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है, इस तरह से ये त्योहार पांच दिनों तक चलता है.
दीपों के त्योहार दिवाली पर चारों तरफ उत्साह देखने को मिल रहा है, इसी दिन भगवान राम अयोध्या वापस आए थे, उनके आने की खुशी में हर घर में दीपक जलाकर दीपोत्स्व भी मनाया गया था. दीपक जलाने की परंपरा भगवान राम के समय से चली आ रही है, वहीं, इस दिन काजल लगाने की परंपरा भी सालों से चली आ रही है. मान्यताओं के मुताबिक, दिवाली की रात में काजल बनाकर लगाया जाता है.
दिवाली के दिन बुरी नजर से बचाने के लिए काजल का इस्तेमाल किया जाता है. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, दिवाली की रात दीपक से काजल बनाकर लगाने का बहुत ज्यादा महत्व है इस दिन लोग काजल ज़रूर लगाते हैं. दिवाली के दिन दीपक से बना काजल घर को बुरी नजर से बचाता है, साथ ही ये भी कहा जाता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है. बहुत से लोग अपने घर की तिजोरी और घर के मुख्य द्वार पर भी दिवाली की रात बना काजल लगाकर उसे सुरक्षित करते हैं, वहीं कहीं-कहीं ये भी कहा जाता है कि दिवाली के दिन काजल न लगाने से छुछुंदर बन जाते हैं.
(ये लेख मान्यताओं पर आधारित है, इनख़बर इसकी पुष्टि नहीं करता है)
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