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Diwali 2018: लक्ष्मी-गणेश पूजा के अलावा दीपावली को इसलिए होती है तंत्र साधना

Diwali 2018: पूरे देश में आज दिवाली का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. वैसे तो दिवाली का पर्व सुख और समृद्धि के लिए मनाया जाता है. लेकिन तांत्रिकों के नजरिए से देखा जाए तो दिवाली की रात का उनके लिए विशेष महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि दीपावली की रात तंत्र विद्या हासिल करने की सबसे महत्वपूर्ण रात है. इस रात को कई तांत्रिक श्मशान घाट में जाकर तंत्र विद्या हासिल करते हैं.

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Diwali 2018: Worship of Laxmi and Ganesh on the occasion of Diwali know about black magic and Tantr Sadhana
  • November 7, 2018 10:56 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. रोशनी का त्योहार दीपावली आज पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. दीवाली का त्योहार सुख समृद्धि के लिए मनाया जाता है. दिन लक्ष्मी और गणेश की पूजा कि जाती है. वहीं तांत्रिकों के लिए दिवाली की रात का खास महत्व होता है. तंत्र विद्या के नजरिए से अगर देखा जाए तो दीवाली की रात को तंत्र साधना के लिए बहुत शुभ मानी जाती है. इस रात को कई तांत्रिक श्मशान घाट में जाकर तंत्र साधना करते हैं. आइए हम आपको बताते हैं आखिर दिवाली के ही दिन क्यों तंत्र साधना की जाती है.

दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है. अमावस्या की इस रात को कालरात्रि और महानिशा के नाम से भी जाना जाता है.  इस रात तांत्रिक और अघोरी शक्तियों को सिद्ध करने के लिए उपसना करते हैं. यहां तक कि इन बातों का वर्णन तंत्रशास्त्रों में भी मिलता है. ऐसा माना जाता है दिवाली के दिन हासिल की गई तंत्र साधना काफी लाभदायक होती है. इसलिए दिवाली की रात को तंत्रशास्त्र की महारात का कहा जाता है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि दिवाली की रात मां लक्ष्मी अपनी बहन अलक्ष्मी के साथ पृथ्वी लोक पर आती हैं. उस समय तांत्रिक अनुष्ठान करके लक्ष्मी सहित दूसरी शक्तियों को हासिल किया जा सकता है. वहीं दीपावली की रात को कर्णपिशाचिनी विद्या सिद्ध करने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है. कहा जाता है कि जो तांत्रिक कर्णपिशाचिनी विद्या हासिल कर लेता है वह किसी भी व्यक्ति का भूत और भविष्य के बारे में बता देता है. इतना ही नहीं दिवाली की रात को इस रात को काला जादू की भी साधना की जाती है. काला जादू की शक्ति को प्राप्त करने के बाद साधक इस उपयोग अपने लाभ के लिए तथा दूसरे की हानि के लिए करते है.

दिवाली की रात को तंत्र विद्या हासिल करने के लिए श्मशान में साधना की जाती है. साधना का समय आधी रात यानी 12 से शुरू को होता है और सुबह 4 बजे तक चलता है. ऐसी मान्यता है कि इस रात को पारलौकिक शक्तियां विचरण करती हैं और इस दौरान उन्हें सिद्ध करना काफी आसान माना जाता है. कई तांत्रिक दिवाली की रात को कुछ खास जीव-जन्तुओं का पूजा में इस्तेमाल करते हैं. 

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