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Jagannath Heritage Corridor: आज होगा जगन्नाथ मंदिर के हेरिटेज कॉरिडोर का उद्घाटन, जानें कौन करेगा शुभारंभ

नई दिल्ली: 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा और राम मंदिर उद्घाटन इन दिनों काफी चर्चे में हैं। दरअसल, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पांच दिन पहले ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर के हेरिटेज कॉरिडोर का उद्घाटन बुधवार यानी(Jagannath Heritage Corridor) की आज 17 जनवरी को होगा। […]

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Jagannath Heritage Corridor
  • January 17, 2024 4:39 pm Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

नई दिल्ली: 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा और राम मंदिर उद्घाटन इन दिनों काफी चर्चे में हैं। दरअसल, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पांच दिन पहले ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर के हेरिटेज कॉरिडोर का उद्घाटन बुधवार यानी(Jagannath Heritage Corridor) की आज 17 जनवरी को होगा।

इलाकों को संवारा गया

जानकारी बता दें कि, ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ ही बहन सुभद्रा और भाई बलराम और की पूजा होती है। बता दें कि पुरी के जगन्नाथ मंदिर के हेरिटेज कॉरिडोर को ‘श्रीमंदिर परिक्रमा प्रकल्प’ भी कहा जाता है। इस परियोजना के कारण मंदिर के अदंर और मंदिर के आसपास के इलाकों को अच्छे से संवारा गया है।

इनके हाथों होगा उद्घाटन

सूत्रों के अनुसार इस कॉरिडोर के निर्माण के लिए लगभग 943 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। यह ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और बीजू जनता दल का महत्वकांक्षी(Jagannath Heritage Corridor) प्रोजेक्ट रहा है। वहीं मुख्यमंत्री नवीन पटनायक इस कोरिडोर का उद्घाटन बुधवार को यानी की आज करेंगे।

ये सब होगा मंदिर में

बता दें कि ओडिशा ब्रिज एंड कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन ने इस प्रोजेक्ट को पूरा किया है और उसके बाद इसे आधिकारिक तौर पर श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन को सैंप दिया गया और मंदिर से लगे बाहरी दीवार मेघनाद पटेरी के चारों ओर 75 मीटर चौड़ा गलियारा बनाया गया। मंदिर के चारों ओर दो किमी का श्रीमंदिर परिक्रमा रथ भी बनाया गया है। जिसके जरिए मंदिर में श्रद्धालु अब सीधे दर्शन कर पाएंगे।

यहां भेजा गया न्योता

इस परियोजना के उद्घाटन के लिए पूरे देश के श्रद्धालु जुट रहे हैं। जिसके लिए भारत और नेपाल के भी करीब एक हजार मंदिरों को न्योता भेजा गया था और चारों शंकराचार्यों को भी न्योता भेजा गया। इसके साथ ही मंदिर प्रशासन की ओर से नेपाल के राजा को भी इसका न्योता भेजा गया था।

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