Dhanteras Puja 2018: भगवान विष्णु ने किसान से कहा कि इन्हें कौन जाने देता है, यह तो चंचला हैं, कहीं नहीं ठहरतीं. इनको बड़े-बड़े नहीं रोक सके. इनको मेरा शाप था जिस वजह से यह 12 साल से तुम्हारी सेवा में लगी थीं. तुम्हारी 12 वर्ष सेवा का समय अब पूर्ण हो चुका है. तब लक्ष्मीजी ने किसान ने कहा कि अगर तुम मुझे रोकना चाहते हो तो जो मैं कहूं वैसा करो. कल तेरस है. और इन दिन तुम मेरी पूजा करोगे तो तुम्हारे घर में कभी भी धन की कमी नहीं आएगी.
नई दिल्ली: आज धनतेरस का त्योहार है. इस खास दिन का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. इस खास अवसर पर कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी धनतेरस की अराधना की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि इन दिन भगवान कुबेर की पूजा करने से घर में लक्ष्मी और वैभव आता है. इस पूजा की वजह से धन संकट में आ रही बाधाएं दूर होती है. घर में सुख समृद्धि आती है. हिंदू रीति रिवाज के मुताबिक धनतेरस की पूजा बेहद शुभ और फायदेमंद मानी जाती है. धनवन्तरि और धन के देवता कुबेर की पूजा के साथ धनतेरस पर माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है.
धनतेरस की कथा के मुताबिक एक वक्त भगवान विष्णु मृत्युलोक में विचरण करने के लिए आ रहे थे, उस समय माता लक्ष्मी ने उन्हें भी उनके साथ चलने के लिए कहा. जिस पर भगवान विष्णु जी ने उनसे कहा कि मैं आपसे जो बता कहूंगा अगर आप वह बात मानेंगी तो आप भी मेरे साथ चल सकती हैं. जिसके बाद माता लक्ष्मी जी ने उनकी ये बात मान ली और उनके साथ और भगवान विष्णु के साथ धरती पर साथ चली आईं. कुछ समय बाद भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी से कहा कि कि जब तक मैं वापस नहीं आता आप यही ठहरिए. उन्होंने मां लक्ष्मी से कहा कि मैं दक्षिण दिशा की तरफ जा रहा हूं, आप उस दिशा की तरफ मत आना. विष्णुजी के जाने पर लक्ष्मी मां के मन में विचार आया कि आखिर दक्षिण दिशा में ऐसा क्या रहस्य छुपा हुआ है, जिस वजह से वह मुझे वहां जाने से मना कर रहे हैं और भगवान स्वयं चले गए.
काफी देर रुकने के बाद माता लक्ष्मी जी से ठहरा नहीं गया और वह भी भगवान विष्णु के पीछे-पीछे चल दीं. थोड़ा सा आगे जाने पर उन्हें सरसों का एक खेत दिखाई दिया, जिसमें खूब काफी सारे फूल लगे हुए थे. सरसों के खेत का ये शानदार दृश्य माता लक्ष्मी को काफी पसंद आया जिसके बाद उन्होंने फूल तोड़कर अपना श्रृंगार किया और फिर आगे चल दीं. थोड़ा आगे चलने पर एक गन्ने के खेत से माता लक्ष्मीजी गन्ने तोड़कर रस चूसने लगीं. उसी वक्त भगवान विष्णु जी आए और यह देख लक्ष्मी माता पर क्रोधित हो उठे और उन्हें शाप दे दिया. उन्होंने कहा कि मैंने तुम्हें इधर आने को साफ मना किया था. लेकिन आप फिर भी मेरी बात नहीं मानी और किसान की चोरी का अपराध कर बैठीं. जिसके बाद उन्होंने कहा कि आप इस अपराध के एवज में इस किसान की 12 साल तक सेवा करो. ऐसा कहकर विष्णु भगवान उन्हें छोड़कर क्षीरसागर चले गए.
जिसके बाद माता लक्ष्मी अपने अपराध की सजा को पूरा करने के लिए उस गरीब किसान के घर रहने लगीं. एक दिन लक्ष्मी माता ने उस गरीब किसान की पत्नी से कहा कि तुम स्नान करके पहले मेरी बनाई गई इस देवी लक्ष्मी का पूजन करो, फिर रसोई बनाना, जिसके बाद तुम जो मनोकामना मांगोगी वो तुम्हें मिलेगा. जिसके बाद किसान की पत्नी ने बिल्कुल मां लक्ष्मी के कहे के अनुसार किया. पूजा के प्रभाव और लक्ष्मीमां की कृपा से किसान का घर दूसरे ही दिन से अन्न, धन, रत्न, स्वर्ण आदि जैसी चीजों से भर गया.
किसान के 12 साल बहुत अच्छे से गुजरे. आखिरकार फिर 12 साल के बाद लक्ष्मीमां जाने के जाने का समय आ गया और वह जाने के लिए तैयार हुईं. 12 वर्ष बाद जब भगवान विष्णु लक्ष्मीजी को लेने आए तो किसान ने उन्हें साथ भेजने से मना कर दिया. इस बात पर भगवान विष्णु ने किसान से कहा कि इन्हें कौन जाने देता है, यह तो चंचला हैं, कहीं नहीं ठहरतीं. इनको बड़े-बड़े नहीं रोक सके. इनको मेरा शाप था जिस वजह से यह 12 साल से तुम्हारी सेवा में लगी थीं. तुम्हारी 12 वर्ष सेवा का समय अब पूर्ण हो चुका है.
लेकिन किसान नहीं माना और बोला कि अब मैं माता लक्ष्मीजी को अपने घर से कहीं नहीं जाने दूंगा. तब लक्ष्मीजी ने किसान ने कहा कि अगर तुम मुझे रोकना चाहते हो तो जो मैं कहूं वैसा करो. कल तेरस है. और इन दिन तुम मेरी पूजा करोगे तो तुम्हारे घर में कभी भी धन की कमी नहीं आएगी. यह कहकर वह दीपकों के प्रकाश के साथ दसों दिशाओं में फैल गईं. और यह कथा पूरे दश भर में फैल गई.
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