नई दिल्ली: धनतेरस, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार हैं जो दीपों के त्योहार , दिवाली की शुरुआत का प्रतीक है । दिवाली पूरे भारत में उत्साह और उमंग के साथ मनाई जाती है। इस शुभ दिन पर मनाए जाने वाले विभिन्न अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों के बीच, 13 दीपक जलाने का सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व है। धनतेरस […]
नई दिल्ली: धनतेरस, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार हैं जो दीपों के त्योहार , दिवाली की शुरुआत का प्रतीक है । दिवाली पूरे भारत में उत्साह और उमंग के साथ मनाई जाती है। इस शुभ दिन पर मनाए जाने वाले विभिन्न अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों के बीच, 13 दीपक जलाने का सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व है। धनतेरस पर दीपक जलाने की परंपरा, विशेष रूप से तेरह की संख्या में है। प्रत्येक दीपक विभिन्न पहलुओं का प्रतीक है, जो मान्यताओं और रीति-रिवाजों का प्रतिनिधित्व करता है:
धन और समृद्धि का स्वागत
धनतेरस, ‘धन’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ है धन, और ‘तेरस’, जो चंद्र पखवाड़े के 13 वें दिन को अभिदिष्ट करता है, धन और समृद्धि का आह्वान होता है। ऐसा माना जाता है कि 13 दीपक जलाने से घर में बरकत और समृद्धि आती है।
देवताओं का सम्मान
असामयिक मृत्यु और आपदाओं से सुरक्षा की मांग करते हुए, मृत्यु के देवता भगवान यम को सम्मान देने के लिए दीपक जलाए जाते हैं। धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी को घर में उनकी कृपा को आमंत्रित करने के लिए भी दीपक जलाए जाते है।
ज्योतिषीय महत्व
ये 13 दीपक राशि चक्र की 12 राशियों और सूर्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन्हें जीवन और ऊर्जा का दाता माना जाता है
प्रकाश का प्रतीकवाद
दीपक जलाना अंधेरे और अज्ञानता को दूर करने एंव प्रकाश और ज्ञान लाने का प्रतीक है। तेरह दीपक आसपास को रोशन करते हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत और अंधेरे पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।
अच्छाई को बढ़वा देता है
धनतेरस का त्योहार और 13 दीपक जलाने की परंपरा आशा, समृद्धि और कल्याण की खोज में सहायता करता है। यह अपने भीतर प्रकाश को अपनाने और सभी में अच्छाई फैलाने के लिए कार्य करता है।