नई दिल्ली, धनतेरस को धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है, धनतेरस के दिन देवाताओं के वैद्य धन्वंतरी की जयंती मनाई जाती है और लोग शुभ मुहूर्त में सोना, चांदी या अन्य वस्तुओं की खरीदारी करते हैं, जिससे उनके घर धन-धान्य में बढ़ोतरी होती है. धनतेरस का त्योहार हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. वहीं, इस साल धनतेरस के मुहूर्त को लेकर बहुत कन्फ्यूज़न है क्योंकि इस बार त्रयोदशी तिथि के प्रारंभ और समापन के समय की वजह से असमंजस की स्थिति पैदा हो रही है. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, इस साल कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि की शुरूआत शनिवार 22 अक्टूबर को शाम 06:02 बजे से होगी और यह तिथि अगले दिन 23 अक्टूबर की शाम 06:03 बजे तक रहेगी.
शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन को धन त्रयोदशी कहा जाता है. धन और वैभव देने वाली देवी इस त्रयोदशी का विशेष महत्व माना गया है. धनतेरस के दिन पीतल खरीदने की विशेष मान्यता है. भगवान धनवंतरी को भगवान विष्णु का ही एक रूप माना जाता है. इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें अश्त्र-शस्त्र और अमृत कलश होता है. अमृत कलश पीतल की धातु का बना होता है, इसलिए यह मान्यता है कि धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी का प्रिय पीतल धातु खरीदना चाहिए. मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई कोई भी वस्तु शुभ फल प्रदान करती है और लंबे समय तक चलती है. लेकिन अगर भगवान की प्रिय वस्तु पीतल की खरीदारी की जाए तो इसका लाभ तिगुना हो जाता है. धनतेरस के दिन, पीतल, सोना, चांदी, झाड़ू और साबुत धनिया खरीदने की विशेष मान्यता है.
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