Dhanteras 2019: दीवाली से पहले क्यों मनाते हैं धनतेरस, जानें खरीदारी शुभ मुहूर्त और महत्व

Dhanteras 2019: दीवाली मनाने के पीछे एक और पौराणिक कथा है, अमृत पाने के लिए देवताओं और राक्षसों द्वारा समुद्र मंथन किया गया था. धन्वंतरी (देवताओं के चिकित्सक के रूप में जाना जाता है और भगवान विष्णु का एक अवतार) समुद्र मंथन से निकले थे, उसी दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है.

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Dhanteras 2019: दीवाली से पहले क्यों मनाते हैं धनतेरस, जानें खरीदारी शुभ मुहूर्त और महत्व

Aanchal Pandey

  • October 10, 2019 1:36 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. धनत्रयोदशी जिसे धनतेरस के नाम से भी जाना जाता है. दिवाली से ठीक दो दिन पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. धनत्रयोदशी के दिन, दूधिया सागर के मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी समुद्र से निकली थीं. इसलिए, भगवान कुबेर के साथ देवी लक्ष्मी, जो धन के देवता हैं, की पूजा त्रयोदशी के शुभ दिन की जाती है. हालांकि, धनत्रयोदशी के दो दिनों के बाद अमावस्या पर लक्ष्मी पूजा को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है.

त्रयोदशी के दिन भगवान कुबेर के साथ देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. हिंदु पौराणिक कथाओं के मुताबिक इस दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था. जिस वजह से इसे धनतेरस के पर्व के रूप में मनाया जाता है. धनतेरस पर, समृद्धि और कल्याण प्रदान करने के लिए पूजा की जाती है. धनतेरस 2019, 25 अक्टूबर (शुक्रवार) को मनाया जाएगा. पूजा शाम 7:08 बजे से शाम 8:22 बजे तक होगी. पूजा की पूरी अवधि 1 घंटा और 14 मिनट होगी.

धनतेरस मनाने के पीछे की कहानी राजा हिम के 16 साल के बेटे की है. उनकी शादी के चौथे दिन सांप के काटने से उनकी मृत्यु हो गई. उनकी पत्नी ने अपने पति की जान बचाने का तरीका खोजा. उसने उस खास दिन अपने पति को सोने नहीं दिया. उसने अपने बहुत सारे गहने और सोने और चांदी के सिक्के एकत्र किए थे और अपने बिस्तर के कमरे के द्वार पर एक ढेर बना दिया था और कमरे में हर जगह दीपक जलाया. उसने पति को जगाने के लिए कहानियों का पाठ किया.

मृत्यु के देवता, यम सर्प के रूप में वहां पहुंचे थे. लाइटिंग लैंप और ज्वैलरी की वजह से अचानक उसकी आंखें चकाचौंध होने लगीं. वह उस कमरे में प्रवेश करने में असमर्थ था, जिसके कारण उसने सिक्कों के ढेर पर चढ़ने की कोशिश की, लेकिन राजकुमार की पत्नी का गाना सुनने के बाद वह पूरी रात वहीं बैठा रहा. और धीरे-धीरे सुबह हो गई और उसने अपने पति को ले जाने नहीं दिया. इस तरह उसने अपने पति की जान बचाई, तभी से इस दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाने लगा.

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