नई दिल्ली. कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी या देवोत्थान एकादशी के रूप में मनाया जाता है. इसे देव उठनी एकादशी या प्रबोधनी एकादशी भी कहते हैं, दरअसल, भगवान विष्णु आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी से निद्रा में चले जाते हैं जिसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है और 4 महीने बाद कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन उठते हैं, इसलिए इसे देवोत्थान या देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, इस दिन से सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है. आइए आपको बताते हैं देवउठनी एकादशी के दिन क्या न करें-
देवउठनी एकादशी के दिन भूल से भी तामसिक भोजन न करें, इस दिन आप मांस-मछली का सेवन गलती से भी न करें और न ही इन चीज़ों को घर में बनने न दे.
देवउठनी एकादशी के दिन आप अपशब्दों का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें, कहा जाता है ऐसा करने से व्रत के शुभ परिणाम नहीं मिलते हैं.
देवउठनी एकादशी के दिन ही तुलसी विवाह भी होता है, इस दिन तुलसी जी का विवाह शालीग्राम के साथ कराया जाता है. कहा जाता है कि भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है इसलिए देवउठनी एकादशी के दिन भूलकर भी तुलसी का पत्ता न तोड़ें.
धार्मिक मान्यताओं मुताबिक, एकादशी के दिन चावल खाने की मनाही होती है और देवउठनी एकादशी को तो सबसे बड़ी एकादशी माना जाता है इसलिए इस दिन तो आपको गलती से भी चावल नहीं खाना चाहिए.
इस साल देव उठनी एकादशी 4 नवंबर 2022, शुक्रवार के दिन है, बहुत लोग इस दिन व्रत रखते हैं, अगर आप भी देवउठनी एकादशी का व्रत रख रही हैं तो आप इसका पारण 5 नवंबर 2022 को कर सकती है. इस दिन तुलसी विवाह भी किया जाता है.
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