Dev Uthani Ekadashi 2019 Puja Vidhi: 8 नवंबर को देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और तुलसी विवाह का खासा महत्व है. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक भगवान विष्णु चार महीने बाद देवउठनी अथवा देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन ही निद्रा से जागते हैं. उन्हें जगाने के लिए शंख, घंटी आदि बजाए जाते हैं. जानिए देवउठनी एकादशी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व.
नई दिल्ली. शुक्रवार 8 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जा रही है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, साथ ही तुलसी विवाह का भी खासा महत्व है. देवउठनी एकादशी को देवउठनी ग्यारस, देवप्रबोधिनी एकादशी और जेठवनी एकादशी के नाम से भी मनाया जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा से जागते हैं. इस दिन मां तुलसी और विष्णु भगवान के अवतार शालीग्राम का विवाह भी कराया जाता है. साथ ही भगवान विष्णु की पूजा का महत्व और पूजा विधि और शुभ मुहूर्त.
देवउठनी एकादशी का हिंदू धर्म में महत्व-
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन पड़ने वाली देवउठनी एकादशी का हिंदू धर्म में खास महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु चार महीने बाद नींद से जागते हैं. देवउठनी या देवप्रबोधिनी एकादशी से ही विवाह जैसे मांगलिक कार्यों की भी शुरुआत हो जाती है. देवउठनी एकादशी के दिन भी विवाह के अबूझ मुहूर्त होते हैं.
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का क्या है महत्व-
हिंदू मान्यताओं के अनुसार देवउठनी ग्यारस के दिन तुलसी विवाह की परंपरा है. इस दिन तुलसी के पौधे का विवाहर भगवान विष्णु के अवतार शालीग्राम से कराया जाता है. तुलसी विवाह करवाने से घर में खुशहाली आती है. जिन लोगों के घरों में बेटी नहीं होती, इसदिन वे तुलसी का कन्यादान कर पुण्य अर्जित करते हैं.
देवउठनी एकादशी पूजा विधि-
शुक्रवार सुबह उठ कर स्नान करें और शुद्द वस्त्र धारण करें. ओखली में गेरु से भगवान विष्णु की आकृति बनाएं और ध्यान लगाएं. मां तुलसी की पूजा करें. आंगन में दीप जलाएं. घर में हवन भी करवा सकते हैं. ध्यान लगाने के बाद भगवान विष्णु को शंख और घंटी बजाकर जगाएं. इसके बाद विष्णु की आरती करें.
देवउठनी एकादशी शुभ मुहूर्त-
देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन सुबह कभी भी भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं. वहीं तुलसी विवाह का मुहूर्त शाम 8 बजे से रात 10 बजे तक शुभ है. हालांकि पूरे दिन में कभी भी राहु काल को छोड़कर पूजा की जा सकती है.
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