Dev Diwali 2020 : काशी में आज भी देवी- देवता मनाते हैं दिवाली, जनिए देव दीपावली का शुभ मुहूर्त और महत्व

Dev Diwali 2020: भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए ऊं नमो नारायण नम: मंत्र का जप करें. पूजा समाप्त होने के बाद तुलसी जी की आरती करें और जल चढ़ाएं. देव दिवाली के पर्व पर गंगाघाट पर जाकर स्नान करके दीपक जलाएं. अगर किसी कारण से गंगा घाट पर जाने में अस्मर्थ हों तो अपने घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं.

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Dev Diwali 2020 : काशी में आज भी देवी- देवता मनाते हैं दिवाली, जनिए देव दीपावली का शुभ मुहूर्त और महत्व

Aanchal Pandey

  • November 27, 2020 2:58 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 years ago

नई दिल्ली: हिंदू धर्म में कार्तिक मास की पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. इस साल 29 नवंबर को कार्तिक मास की पूर्णिमा है और इस तिथि पर देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है. इस दौरान मंदिरों को बड़ी धूमधाम से सजाया जाता है, वहीं देव दिवाली की रात पूरा बनारस भी जगमगा उठता है. शास्त्रों के अनुसार सभी 12 महीनों में कार्तिक महीने को आध्यात्मिक एवं शारीरिक ऊर्जा संचय के लिए सबसे अच्छा माना गया है. मना जाता है कि देव दिवाली पर भगवान शिव वाराणसी में खुशियां मनाने आते हैं.

क्यों मनाई जाती है देव दिवाली

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा की तिथि पर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था, जिससे देवगण बहुत प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु ने शिवजी को त्रिपुरारी नाम दिया जो शिव के अनेक नामों में से एक है. त्रिपुरासुर के वध होने की खुशी में सभी देवता स्वर्गलोक से उतरकर काशी में दीपावली मनाते हैं. मना जाता है कि इस पर्व पर सभी देवी-देवता भगवान शंकर समेत धरती पर आते हैं और दीप जलाकर खुशियां मनाते हैं. तभी से काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान करके देव दिवाली मनाई जाती है. शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने का भी विशेष महत्व है.

देव दिवाली 2020 का शुभ मुहूर्त

देव दीवाली 2020 29 नवम़्बर दिन रविवार को मनाई जाएगी.
कार्तिक पूर्णिमा 2020: शाम 05:08 PM से 07:47 PM

देव दीवाली की पूजा विधि

देव दीवाली के दिन किसी भी शिव मंदिर में जाकर या फिर अपने घर में ही पूजा कर सकते हैं. देव दिवाली के दिन भगवान शिव के सामने गाय के घी का दीपक जलाएं और फिर चंदन से धूप करें. साथ ही भगवान को खीर -पूड़ी का भोग लगाएं. पूजा के दौरान भगवान को पुष्प अर्पित करें और चंदन से शिवलिंग पर त्रिपुण्ड बनाकर शिवजी की आरती करें. उसके बाद भगवान शिव के सामने ‘ऊँ देवदेवाय नम:’ मंत्र का एक माला जाप करें और साथ ही भगवान विष्णु की भी अराधना करे.

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