नई दिल्ली, भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का त्योहार पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. जन्माष्टमी के अगले दिन दही हांडी का उत्सव मनाया जाता है, दही हांडी को लेकर ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण बचपन में पड़ोसियों के घर की उनकी हांडी तोड़कर दही, दूध और […]
नई दिल्ली, भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का त्योहार पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. जन्माष्टमी के अगले दिन दही हांडी का उत्सव मनाया जाता है, दही हांडी को लेकर ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण बचपन में पड़ोसियों के घर की उनकी हांडी तोड़कर दही, दूध और मक्कखन खा जाते थे. इसी तरह दही हांडी के उत्सव में मटकी फोड़ने की परंपरा चली आ रही है.
भगवान श्रीकृष्ण के बचपन की कहानी काफी प्रचलित है, कहा जाता है कृष्ण जब छोटे थे तब वो बहुत शरारती थे. उनकी मां उनसे काफी परेशान रहती थी, इस दौरान वो अपने दोस्तों के साथ आस- पड़ोस के घरों से हांडी तोड़कर माखन, दूध और दही चुराकर खा जाया करते थे. श्री कृष्ण के माखन चुराकर खाने की वजह से महिलाएं शिकायत लेकर आती जिससे उनकी मां काफी परेशान रहने लगी थी. श्रीकृष्ण के दोस्तों से मक्खन और दही छिपाने के लिए महिलाएं मक्खन और दही से भरे बर्तन को ऊंचाई पर लटका देती थी, लेकिन इसके बाद भी श्रीकृष्ण अपने दोस्तों के साथ मिलकर मक्खन की हांडी तोड़कर खा जाते थे. तभी से ये दही हांडी का पर्व मनाया जाने लगा.
मथुरा वृन्दावन और बांके बिहारी के मंदिर में जन्माष्टमी का महोत्सव 19 अगस्त को मनाया जाएगा, पंचांग के मुताबिक, अष्टमी तिथि 18 अगस्त को शाम 09 बजकर 21 मिनट से आरंभ हो जाएगी जो 19 अगस्त को रात के 10 बजकर 59 मिनट तक रहेगी.
जन्माष्टमी पर सुबह स्नान करके व्रत या पूजा का संकल्प लें, आप चाहे तो जलाहार या फलाहार के साथ भी यह उपवास रख सकते हैं. मध्यरात्रि को भगवान कृष्ण की धातु की प्रतिमा को किसी पात्र में रखें, इस प्रतिमा को दूध, दही, शहद, शक्कर और अंत में घी से स्नान कराएं. इसे पंचामृत भी कहा जाता है. इसके बाद कान्हा को जल से स्नान कराएं, फिर भगवान को फल और फूल अर्पित करें. ध्यान रखें अर्पित की जाने वाली चीजें शंख में डालकर ही अर्पित करें. ख्याल रहे काले या सफेद वस्त्र धारण करके पूजा ना करें.
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