Dahi Handi 2019 Date: कब मनाया जाएगा दही हांडी 2019 का त्योहार, जानिए समय, महत्व और इतिहास

Dahi Handi 2019 Date: जन्माष्टमी के अगले दिन दही हांडी 2019 का त्योहार देश भर में धूमधाम से मनाया जाएगा. दही हांडी का ये त्योहार श्रीकृष्ण भगवान की बाल लीलाओं को समर्पित है. महाराष्ट्र और गुजरात समेत देश -दुनिया कई हिस्सों में दही हांडी का त्योहार मनाया जाता है. जानिए दही हांडी का समय, इतिहास और महत्व.

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Dahi Handi 2019 Date: कब मनाया जाएगा दही हांडी 2019 का त्योहार, जानिए समय, महत्व और इतिहास

Aanchal Pandey

  • August 19, 2019 3:20 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. दही हांडी का त्योहार जन्माष्टमी के एक दिन बाद मनाया जाता है. इस साल जन्माष्टमी 24 को और दही हांडी का उत्सव 25 अगस्त को धूमधाम से पूरे देश में मनाया जाएगा. शास्त्रों में विष्णु जी के अवतार कहे जाने वाले भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के मौके पर हर साल जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है जिसके अगले दिन गोपाल भगवान की बाल लीलाओं को समर्पित दही हांडी का त्योहार मनाया जाता है. देश के कई राज्यों खासतौर पर महाराष्ट्र और गुजरात में इस त्योहार के दिन अलग ही माहौल देखने को मिलता है. कई जगहों पर दही हांडी प्रतियोगिताओं का भी आयोजन कराया जाता है.

मान्यता के अनुसार, श्रीकृष्ण भगवान का जन्म भाद्र मास की अष्टमी तिथि में आधी रात को हुआ था, इसी खुशी में जन्माष्टमी के अगले दिन दही हांडी का त्योहार मनाया जाता है. दही हांडी के मौके पर लोग एक दूसरे के ऊपर चढ़कर ‘ह्यूमन पिरामिड’ जैसी श्रृंखला बनाकर रस्सी से बंधी हांडी तक पहुंचकर उसे फोड़ते हैं. उस हांडी में मक्खन या दही रखी जाती है.

दही हांडी का इतिहास
भगवान श्रीकृष्ण ने देवकी और वासुदेव के घर जन्म लिया था जो सालों तक कंस के अत्याचार से जेल में बंद रहे. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान से कंस की हत्या होनी थी. वह इस बात को भली-भांति समझता था, इसलिए देवकी के जो भी संतान होती वह उसे मार देता. लेकिन आठवीं संतान श्रीकृष्ण को वासुदेव दैवीय शक्तियों से यशोदा और नंदजी के यहां वृंदावन ले गए. यही श्रीकृष्ण की बाल लीला की शुरुआत हुई. बचपन में गोपाल भगवान को मक्खन और दही खाने का काफी शौक था इसलिए वे अक्सर शरारत में लोगों के घर-घर जाकर माखन चुरा लेते. शरारत से परेशान गांव के लोग माखन और दही को बचाने के लिए मटकी को काफी ऊंचाई पर टांग देते थे लेकिन तब भी बाल श्रीकृष्ण चतुराई से दोस्तों के ऊपर चढ़कर माखन चुरा लेते थे.

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