नई दिल्ली. छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय के नाम से जाना जाता है. ‘नहाय’ शब्द का तात्पर्य स्नान और ‘खाय’ से है. सुबह स्नान करने के बाद, व्रती महिलाएं पूजा सामग्री के लिए अनाज को साफ करती हैं और इसे धूप में ढककर सुखाती हैं. अनाज को धोने और सुखाने के दौरान साफ-सफाई का ध्यान रखा जाता है. इसके बाद महिलाएं एक बार फिर से स्नान करती हैं. इस दिन से, न केवल व्रती महिलाएं बल्कि उनके परिवार भी शाकाहरी भोजन लेने लगते हैं.
इस दिन चने दाल के साथ कद्दू की सब्जी और चावल खाया जाता है. और इस खाने को मिट्टी के चूल्हे के ऊपर मिट्टी या पीतल के बर्तनों और आम की लकड़ी का उपयोग करके पकाया जाता है. पूजा के बाद पूरे दिन में केवल एक बार खाया जाता है. दोपहर के कुछ समय के बाद भोजन करने के बाद, व्रती निर्जल उपवास शुरू करते हैं जो छठ पूजा के दूसरे दिन ‘खरना’ का पालन करते हुए अगले दिन शाम को ही तोड़ दिया जाता है.
छठ पूजा दिन 1 – नहाय-खाय बुधवार 18 नवंबर को है
नहाय-खाय की रस्में
व्रती सबसे पहले आम की टहनी से अपने दांतों को ब्रश करते हैं.
फिर वह गंगा नदी में जाकर स्नान करते हैं.
गंगाजल को घर लाया जाता है.
उस जल से भगवान सूर्य के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है.
पूरे दिन में, लोग केवल सुबह सूर्य उदय से पहले खाते हैं.
भोजन करने के बाद केवल एक बार पानी का सेवन किया जाता है.
यह व्रत 36 घंटे तक मनाया जाता है.
यह व्रत निर्जल’ होता है.
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