Chhath Puja Nahay Khay 2018: नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व शुरू, जानिए शुभ मुहूर्त और मान्यताएं

Chhath Puja Nahay Khay 2018: नहाय खाय के साथ ही छठ महापर्व की शुरूआत आज से हो रही है. छठ महापर्व पूर्वी यूपी, बिहार औऱ झारखंड में मुख्यतौर पर मनाया जाता है. यह पर्व संतान की सलामती के लिए मनाया जाता है.

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Chhath Puja Nahay Khay 2018: नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व शुरू, जानिए शुभ मुहूर्त और मान्यताएं

Aanchal Pandey

  • November 11, 2018 12:02 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. बिहार-झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मुख्यतौर पर मनाए जाने वाले लोकपर्व छठ की ‘नहाय-खाय’ के साथ शुरूआत हो चुकी है. सूर्य उपासना का यह महापर्व चार दिन तक चलता है. रविवार को नहाय खाय के साथ ही इस महापर्व की शुरूआत हो रही है. नहाय खाय के अगले दिन खरना होगा जिसे इस महापर्व का दूसरा और सबसे कठिन चरण माना जाता है. अथर्ववेद के अनुसार, भाष्कर की मानस बहन षष्ठी देवी बच्चों की रक्षा करती हैं. षष्ठी देवी प्रकृति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हैं. षष्ठी देवी भगवान विष्णु द्वारा रची गई माया हैं जो बच्चों की रक्षक हैं.

चार दिन तक चलने वाला यह महापर्व बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश से निकलकर अन्य राज्यों में तेजी से बढ़ रहा है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यमुना पर कई जगह सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. खरना में वृत रखने वाले शाम को पूजा के बाद खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करते हैं जिसके बाद निर्जला उपवास शुरू हो जाता है. नहाय खाय में लौकी की सब्जी को अनिवार्य माना जाता है. इसे बनाने में खास ध्यान रखा जाता है. इस दौरान दाल, सब्जी आदि में लहसुन प्याज आदि वर्जित हैं.

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घीया और चने की सब्जी शुद्ध देशी घी में बनाई जाती है जिसे परिवार के अन्य लोग प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैं. नहाय खाय के दिन प्रसाद बनाने के लिए गेहूं को धोया और सुखाया जाता है. इसके बाद इससे आटा तैयार किया जाता है. इसके बाद इससे आटा तैयाय कर खरना के लिए रोटी और छठ के लिए ठेकुआ बनाया जाता है. इसे बनाते समय पवित्रता और शुद्धता का खास ख्याल रखा जाता है. खरना के बाद व्रती बिना अन्न-जल के 24 घंटे से ज्यादा समय तक भगवान भास्कर और माता षष्ठी की आराधना करते हैं.

इस बार सुबह 6 बजकर 27 मिनट नहाय खाय के दिन सूर्योदय का समय है. नहाय खाय के दिन गंगा स्नान शुभ माना जाता है. इस दिन पूरे घर की सफाई कर किसी नदी या तालाब के पानी में नहाकर साफ वस्त्र पहने जाते हैं. भोजन सात्विक ही बनाया जाता है. छठ का व्रत रखने वाले पुरुष या महिला घी में चने की दाल और लौकी की सब्जी बनाते हैं. खाने में कद्दू और अरवा चावल बनाना अनिवार्य है.

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