Chhath Puja Kharna Geet Song : बिहार और झारखंड का सबसे बड़ा पर्व छठ आने ही वाला है. यह पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय होता है और दूसरे दिन खरना. इस दिन व्रत रखा जाता है और शाम को व्रत रखने वाली महिला मीठा खाना खाती हैं.
नई दिल्ली. Chhath Puja 2020 Kharna Geet Song: बिहार और झारखंड का सबसे बड़ा पर्व छठ आने ही वाला है. यह पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय होता है और दूसरे दिन खरना. इस दिन व्रत रखा जाता है और शाम को व्रत रखने वाली महिला मीठा खाना खाती हैं. इसे ही खरना कहा जाता है. इस दिन पूरे समय बिना पानी और खाना के रहा जाता है. खरना के दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.
इस बार छठ का पर्व 18 नवंबर से नहाय खाय के साथ शुरू होगा. इस व्रत में नदी, तालाब में जाकर भीगे देह से सूर्य भगवान की उपासना की जाती है. इसके साथ ही प्रसाद में मौसमी फल, सब्जियां और चावल का उपयोग किया जाता है. बता दें छठ पूजा का व्रत मिशकिल व्रतों में से एक माना जाता है. छठ पूजा साल में दो बार आता है- पहला चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को और दूसरा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को. कार्तिक शुक्ल षष्ठी को पड़ने वाली छठ पूजा का महत्व ज्यादा है. आइए आपको आज खरना के टॅाप 10 लोक गीत सुनाते हैं.
कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को दिवाली के 6 दिन बाद छठ पूजा मनाई जाती है. 2020 में यह शुक्रवार, 20 नवंबर को पड़ता है. दरअसल छठ पूजा की रस्म चार दिनों की अवधि में मनाई जाती है. 18 नवंबर 2020 से बुधवार से 4 दिनों का पवित्र त्योहार नहाय-खाय के साथ शुरू होता है.
ये होता है खरना
छठ में सूर्य की पूजा की जाती है. सूर्य पूजा का यह पर्व छठ 4 दिनों तक मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है. दूसरे दिन खरना किया जाता है. खरना का मतलब शुद्धिकरण से लिया जाता है. व्रत रखने वाले व्यक्ति नहाय खाय के दिन पूरा दिन व्रत रखकर केवल एक ही समय भोजन करते हैं. कहा जाता है कि व्रती अपने आप को शुद्ध करने के लिए खरना करते हैं. खरना के दिन व्रती छठ मैय्या की पूजा करके उन्हें गुड़ से बनी खीर का प्रसाद चढ़ाते हैं. खरने के दिन शाम होने पर गन्ने का जूस, गुड़ के चावल या गुड़ की खीर का प्रसाद बनाकर बांटा जाता है. प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत करते हैं.
खरना के प्रसाद में बनाई जाती हैं ये सभी चीजें
खरने के दिन व्रती सुबह से निर्जला व्रत रखकर शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ और चावल की खीर बनाई जाती है. रोटी और खीर को मौसमी फल और मिठाई के साथ एक केले के पत्ते पर रखकर प्रसाद को छठी मय्या को चढ़ाती हैं. इसके बाद व्रती खुद भी इस प्रसाद को ग्रहण करके परिवार के बाकी लोगों को भी प्रसाद बांटती है. प्रसाद चूल्हें पर आम की लकड़ियों में ही बनाया जाता है.
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