नई दिल्ली. छठ महापर्व कल यानी 31 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. ये पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है. छठ पूजा सूर्य देव की उपासना कर उनकी कृपा पाने के लिए की जाती है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव की पूजा करने से घर में धन-धान्य का भंडार रहता है. इस पर्व को खासतौर पर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित पड़ोसी देश नेपाल में देखने को मिलती है. मान्यता है कि छठ पूजा करने से छठी मैया प्रसन्न होकर व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी कर देती हैं.
हिंदू धर्म में छठी मैया को सूर्य भगवान की बहन भी कहा जाता है. छठ पूजा का ये पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है. कल नहाय-खाय के साथ छठ पूजा का आगाज होगा. इसके बाद 1 नवंबर को खरना और 2 नवंबर को सूर्य षष्ठी का मुख्य पर्व होगा. इसी दिन व्रतीजन डूबते हुए सूरज को अर्घ्य देते हैं. वहीं 3 नवंबर को उदित सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पूजा का समाधान होगा.
समापन तीन नवंबर रविवार को होगा. गुरुवार को शाम 4:45 के बाद भद्रा का योग है. छठ महापर्व की तिथि 31अक्तूबर, 31 अक्टूबर गुरुवार- नहाय-खाय 1 नवंबर शुक्रवार- खरना, 2 नवंबर शनिवार- डूबते सूर्य को अर्घ्य और 3 नवंबर, रविवार : उगते सूर्य को अर्घ्य और पारण
खरना में व्रत रखने वाले व्यक्ति प्रसाद ग्रहण करते हैं और उसके बाद अगले दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने और फिर सुबह सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूजा करके ही प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोलते हैं. छठ व्रत को दिवाली के छठे दिन मनाया जाता है. छठ व्रत एक साल में दो बार होता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र मास और कार्तिक मास में. कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को बड़े पैमाने पर यह पर्व मनाया जाता है.
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