Chhath Puja 2018: 13 नवंबर को मनाया जाएगा छठ, पूजा में ले जाना न भूलें ये सामग्री

Chhath Puja 2018: कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थ तिथि से प्रारंभ होता है और सप्तमी तिथि को इस पर्व का समापन होता है. आइए जानें छठ पूजा में पर किसी चीज को भूलकर भी ना भूलें ये सामान, सामग्री और साथ ही जानिए पूजा विधि.

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Chhath Puja 2018: 13 नवंबर को मनाया जाएगा छठ, पूजा में ले जाना न भूलें ये सामग्री

Aanchal Pandey

  • November 10, 2018 12:39 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

 नई दिल्ली . Chhath Puja 2018: कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थ तिथि से प्रारंभ होता है. इस साल 13 नवंबर से शुरू हो रहा है छठ पूजा का पर्व मनाया जा रहा है. ये पूजा 4 दिन तक मनाइ जाती है. इस पर्व को बिहार राज्य के प्रमुख त्योहार में से एक है. छठ पूजा के चार दिवसीय अनुष्ठान में पहले दिन नहाय-खाए दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य की पूजा और चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इसमें भगवान सूर्यदेव की पूजा होती है. पूजा के बारे में पूरी जानकारी होने जाहिए. ताकि कोई पाप ना हो पाए. जिससे कि छठ पूजा अच्छे से पूर्ण हो जाए.

हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक छठ पर्व मनाया जाता है. ये पर्व मुख्य रुप से पुत्र की प्राप्ति के लिए किया जाता है. इस दिन विवाहित महिलाएं बिना पानी पिए पूरे दिन व्रत करती हैं. ताकी उनके पुत्र की लेबी आयू हो. छठ व्रत की सामग्री बहुत महत्व माना जाता है. इस दिन छठ पर छठी मैया की पूजा होती है. ये पर्व मुख्य रुप से बिहार झारखंड, उत्तर प्रदेश राज्यों में मनाया जाता है. जाने क्या क्या होता है पूजा की सामग्री के लिए.

आपको बता दें कि छठ पूजा नहा धो के शुरु करना चाहिए. और ये व्रत काफी कठिन माना जाता है इसलिए इस व्रत तो सावधानी से करना चाहिए ये व्रत काफी पावन व्रत के रुप में देखा जाता है. इस दिन जो विवाहित महिलाएं व्रत करती है छठी मैया उन महिलाओं की हर कामना को पूजा करती हैं. इस दिन मां छठी की पूजा होती है. साथ ही उनको भोग लगाया जाता है. इस व्रत में सही सही सामग्री की जरूरत होती है. जानिए छठ पूजा में इस सामग्री का प्रयोग करना चाहिए.

छठ पूजा में सबसे पहले प्रसाद के लिए बांस की तीन टोकरी का प्रयोग करना चाहिए. फिर बॉस या पीपल के सूप का प्रयोग करना चाहिए.उसके साथ ही लोटा, थाली या गिलास के साथ नारियल और साड़ी-कुर्ता पजामा का प्रयोग करना चाहिए. पूजा में गन्ना पत्तों के साथ साथ हल्दी अदरक हरा पौधा सुथनी फल के लिए शकरकंदी, नाशपाती, नींबू बड़ा उपयोग होता है साथ ही पूजा के लिए शहद की डिब्बी, पान सुपारी, कैराव, माता के लिए सिंदूर, कपूर, कुमकुम, अक्षत के लिए चावल, चन्दन, पसाद के लिए ठेकुआ, मालपुआ, खीर-पूड़ी, खजूर, सूजी का हलवा, चावल का बना लड्डू, सेब, सिंघाड़ा साथ ही मूली का प्रयोग होता है.

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