नई दिल्ली. 11 नवंबर से देश भर में शुरू हो चुके चार दिन चलने वाले व्रत छठ को सूर्य पष्ठी व्रत भी कहा जाता है. चैत्र और कार्तिक मास में यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है. कार्तिक शुक्ल पक्ष पष्ठी में पड़ने वाले को कार्तिक छठ भी बोला जाता है. इस पर्व में काफी लोग व्रत करते हैं. माना जाता है कि इस दौरान व्रत करने वाले लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. हालांकि छठ के दौरान शुरू होने वाला यह व्रत किसी कठिन समस्या से कम नहीं है.
हिंदू धर्म के अनुसार इस व्रत में उपवास और शैय्या त्यागना पड़ता है. यूं तो छठ पर्व में खुश लोग नए कपड़े पहनते हैं लेकिन इस दौरान व्रती लोग ऐसे कपड़े पहनते हैं जिनमें किसी ओर से सिलाई ना की गई हो. मान्यता है कि पर्व में व्रत शुरू करने के बाद सालों तक करना होता है, जब तक अलगी पीढ़ी की विवाहित महिला व्रत के लिए तैयार ना हो. वहीं अगर किसी की घर में मौत हो जाती है तो यह पर्व नहीं मनाया जाता है.
बता दें कि मुख्य तौर पर उत्तरी भारत के उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में मानए जाने वाले छठ पर्व के पहला दिन को नहाय खाय के रूप में मनाते हैं. इस दिन घर की सफाई की जाती है. व्रती स्नान कर प्रसाद ग्रहण करते हैं. मान्यताओं के अनुसार, जब व्रती भोजन कर लेते हैं तो घर के बाकी सदस्य ग्रहण करते हैं. भोजन के रूप में सिर्फ चावल और कद्दू-दाल को खा सकते हैं. दाल सिर्फ चने की होनी चाहिए. अगले दिन यानी दूसरे दिन से उपवास शुरू होता है.
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