Chhath Puja 2018: देशभर में 11 नवंबर से छठ का पावन पर्व शुरू हो चुका है. छठ के पहले दिन नहाय खाय और दूसरे दिन खरना मनाया जाता है. तीसरे दिन से सूर्य देव की पूजा शुरू होती है और संध्या का अर्घ्य दिया जाता है, वहीं चौथे दिन की सुबह अंतिम अर्घ्य भगवान सूर्य को समर्पित करते हैं.
नई दिल्ली. 11 नवंबर से देशभर में छठ का पावन पर्व मनाया जा रहा है. पहले दिन की शुरूआत नहाय खाय से हुई, जिसके बाद दूसरे दिन खरना मनाया गया. मंगलवार शाम को प्रथम अर्ध्य सांझ अर्घ्य और बुधवार सुबह सूर्य उदय के दौरान दूसरा प्रातः कालीन अर्ध्य दिया जाएगा. छठ के दौरान अस्तांचल और उदित सूर्. दोनों की पूजा की जाती है. हालांकि अर्घ की शुरूआत संध्या अर्घ्य से की जाती है. जानिए सांझ और भोर का अर्घ्य देने का समय और शुभ मुहूर्त.
शाम के अर्घ्य और भोरका अर्घ्या का शुभ मुहूर्त
13 नवंबर को प्रथम अर्घ्य शुभ समय 5 बजकर 25 मिनट से सूर्यास्त तक दिया जाएगा. इसी अर्घ्य से सूर्य देव की पूजा शुरू होती है. जिसके बाद अगली सुबह 14 नवंबर को दूसरा भोरका अर्घ्य दिया जाएगा. इसका शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर: 32 मिनट पर शुरू होगा.
बता दें कि दोनों बार पानी में खड़े होकर अर्घ्य दिया जाता है. पहले अर्घ्य से दूसरे अर्घ्य तक का समय के दौरान ही हम छठ माता को प्रस्नन करने की पूरी कोशिश करते हैं. आमतौर सिर्फ उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है लेकिन छठ के दौरान ही अस्त सूर्य को भी पूजा जाता है.
माना जाता है कि छठ पूजा में दोनों अर्घ्य के पीछे आध्यात्मिक वजह है अस्त सूर्य का अर्घ्य यानी कई जन्मों के पापों का प्रायश्चित और उगते सूर्य यानी तप के फलस्वरूप सुंदर परिणाम की प्राप्ति. साथ ही बताया गया है कि गायत्री मंत्र भी सूर्य देव को समर्पित है. श्रीकृष्ण ने गीता में सूर्य और गायत्री मंत्री की महिमा कही है.