Chhath Puja 2018: . छठ पूजा के पहले दिन 11 नंबवर को नहाय खाय मनाया जाता है. इसके बाद 12 नवंबर को खरना होता है. वहीं 13 नवंबर को सांझ का अर्ध्य है और व्रत का आखिरी दिन यानी 14 नवंबर को भोर का अर्ध्य होता है. तो इससे पहले आइए जानते हैं कि छठ पूजा के दौरान सूर्य की उपासना के महत्व के बारे में.
नई दिल्ली. छठ पर्व आज से यानि 11 नवंबर से शुरू होने जा रहा है. पिछले दिनों से कई लोग छठ पूजा की तैयारी में जुटी थे आखिरकार वह शुभ दिन आज आ गया. छठ पर्व का त्योहार 4 दिनों तक मनाया जाता है. चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व में भगवान सूर्य की उपासना का बहुत अधिक महत्व माना जाता है. छठ पूजा के पहले दिन 11 नंबवर को नहाय खाय मनाया जाता है. इसके बाद 12 नवंबर को खरना होता है. वहीं 13 नवंबर को सांझ का अर्ध्य है और व्रत का आखिरी दिन यानी 14 नवंबर को भोर का अर्ध्य होता है. तो इससे पहले आइए जानते हैं कि छठ पूजा के दौरान सूर्य की उपासना के महत्व के बारे में…..
छठ पर्व के दौरान भगवान सूर्य की पूजा करने से स्वास्थ्य की समस्यों से बचा होता है. साथ ही संतान की आयु में लंबी होती है. सूर्य देव और षष्ठी की पूजा से संतान लाभ और और उसकी आयु रक्षा दोनों होती हैं. छठ पूजा के चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अंतिम अर्ध्य दिया जाता है. इसके बाद कच्चे दूध और प्रसाद का सेवन कर व्रत का समापन होता है.
छठ पर्व में इस बार पहला अर्घ्य 13 नवंबर को संध्या काल में दिया जाएगा, जबिक अंतिम अर्घ्य 14 नवंबर को अरुणोदय में दिया जाएगा. ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों को संतान प्राप्ति नहीं हो रही है या संतान होकर बार-बार समाप्त हो जाती है. ऐसे लोगों को इस व्रत का लाभ मिलता है. षष्ठी देवी को ही स्थानीय बोली में छठ मैया कहकर पुकारा जाता है. षष्ठी देवी को ब्रह्मा की मानसपुत्री भी कहा जाता है, जो नि:संतानों को संतान देती हैं, संतान को दीर्घायु प्रदान करती हैं.
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