Chhath Puja 2018: कार्तिक शुक्ल की चतुर्थी से छठ महापर्व शुरू होता है. लोक परम्पराओं के मुताबिक चार दिन तक चलने वाले इस पर्व में छठ मइया और उनके भाई सूर्यदेव की उपसना होती है. शाम को अर्घ्य को गंगा जल के साथ देने का प्रचलन है जबकि सुबह के समय गाय के दूध से अर्घ्य दिया जाता है.
नई दिल्ली: Chhath Puja 2018 हिन्दू धर्म में छठ पर्व का विशेष महत्व है. बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में तो इस पूजा का खास महत्व है. पुरबियां लोगों की बढ़ती संख्या के कारण अब तो दिल्ली में भी यह त्योहार धूम-धाम से मनाया जाता है. कई लोगों को तो इस पर्व और पूजा विधि की जानकारी होती है लेकिन कई लोग अभी भी इस त्योहार के पूजा विधियों को नहीं जानते. हम उनके लिए लाए हैं कि वह छठ पूजा को कैसे और किस तरह से मनाए.
छठ पूजा का इतिहास
विधि से पहले आपको बता दें कि छठ पूजा में सूर्य देवता की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि छठ देवी सूर्यदेव की बहन हैं. इसलिए छठ पर्व पर छठ देवी को प्रसन्न करने के लिए सूर्य देव को प्रसन्न किया जाता है. छठ पूजा का उपवास मुख्य रूप से महिलाऐं परिवार की खुशी के लिए करती है. महाभारत में भी इस पूजा का उल्लेख है. कहा जाता है कि पांडवों की माता कुंती को विवाह से पूर्व सूर्य देव की उपासना कर आशीर्वाद स्वरुप पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम कर्ण था. पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी कष्ट दूर करने के लिए छठ व्रत की थीं. छठ पूजा को प्रतिहार, दला छठ, छठी और सूर्य शास्त्री के नाम से भी जाना जाता है.
छठ पूजा की पूजा विधि
इस त्योहार में सूर्य भगवान की पूजा होती है. यह पूजा विधि चार दिनों तक चलती है. छठ का पहला दिन नहाय- खाई के नाम से जाना जाता है. इस दिन लोग नदी में नहाकर चार दिवसीय व्रत की शुरूआत करते हैं. छठ व्रत करने वाली महिलाएं इस दिन केवल एक ही टाईम का भोजन करती हैं.
पूजा के दूसरे दिन खरना व्रत किया जाता है. इस दिन शाम के वक्त व्रती महिलाएं प्रसाद के रूप में खीर और गुड़ के अलावा फल आदि का सेवन करती हैं. साथ ही अगले 36 घंटे के लिए निर्जला व्रत रखा जाता है. ऐसी पुरानी मान्यता है कि खरना पूजन से छठ देवी खुश होती हैं और घर में वास करतीं हैं.
पर्व के तीसरे यानी पंचमी के दिन लोग डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. छठ पूजा की अहम तिथि षष्ठी को होती है. इस दिन नदी या जलाशय में उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस महापर्व का समापन होता है.
छठ पूजा का पहला दिन
11 (रविवार) चतुर्थी
नाह खाई
06:44 पर सूर्योदय
सूर्यास्त 18:01 पर
छठ पूजा का दूसरा दिन
छठ का दूसरा दिन खारना के रूप में बनाया जाता है. इस दिन सूर्योउदय से सूर्यास्त तक पानी के बिना उपवास रखा जाता है. सूर्य भगवान को भोजन देने के बाद सूर्यास्त के बाद उपवास टूट जाता है.
लोहंडा और खारना दिवस के लिए पंचांग
12 (सोमवार) पंचमी
06:44 पर सूर्योदय
सूर्यास्त 18:01 पर
छठ पूजा का तीसरा दिन
छठ पूजा के तीसरे मुख्य दिन पानी के बिना एक पूर्ण दिन उपवास मनाया जाता है.
छठ पूजा दिवस के लिए पंचांग
13 (मंगलवार) षष्ठी
06:45 पर सूर्योदय
सूर्यास्त 18:01 पर
छठ पूजा का चौथा दिन
छठ के चौथे और अंतिम दिन, अर्घ्य को उगते सूरज को दिया जाता है और इसे उषा अरघ्य के नाम से जाना जाता है.
उषा अरघ्या का दिवस
14 (बुधवार) को होगा अंतिम दिन
उषा अरघ्या, पराना दिवस
06:45 पर सूर्योदय
सूर्यास्त 18:00 बजे
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