नई दिल्ली : छठ पूजा में भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है. जहां इस पूजा में उगते हुए सूर्य भगवान की तो पूजा की ही जाती है साथ में डूबते हुए सूर्य भगवान को भी पूजा जाता है. हालांकि आज भी 90 प्रतिशत से अधिक लोगों को सूर्य को सही तरीके से अर्ध्य […]
नई दिल्ली : छठ पूजा में भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है. जहां इस पूजा में उगते हुए सूर्य भगवान की तो पूजा की ही जाती है साथ में डूबते हुए सूर्य भगवान को भी पूजा जाता है. हालांकि आज भी 90 प्रतिशत से अधिक लोगों को सूर्य को सही तरीके से अर्ध्य देने का तरीका नहीं मालूम है. आइए आज हम आपको ऋषि-मुनियों का बताया सही तरीका बताते हैं. इतना ही नहीं इस तरीके को आधुनिक युग के डाक्टर भी सही मानते हैं.
सूर्य की सप्तरंगी किरणों का पूरा लाभ पाने के लिए ऋषि-मुनियों ने प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य देने का नियम बनाया था. मालूम हो सूर्य देवता नवग्रहों के स्वामी होते है इसलिए उनका दुष्प्रभाव हम पर ना पड़े और सूर्य के प्रति हम अपना आभार प्रकट कर सके इसलिए सूर्य अर्घ्य दिया जाता है. शास्त्रों की मानें तो जब सूर्य को अर्पण किया गया जल आँखों में चुभे तो इसका कोई लाभ नहीं होता है.
जल की गिरती धार से सूर्य की किरणों को देखना चाहिए. ऐसा करने से आंखों की काली पुतलियां जल से सात रंगों में बंटी किरणों को शरीर में आने देती हैं. बता दें, प्रतिदिन स्नान करने के बाद अर्घ्य देने से शरीर पर पड़ीं सूर्य की सातों किरणें शरीर को और मन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देती हैं.
यदि सूर्य को अर्घ्य देते समय सही नियमों का पालन ना किया जाए तो इससे आपकी आँखों को हानि भी हो सकती है. इसी वजह से छठ पर्व के चार दिवसीय अनुष्ठान के बाद कई लोगों की आंखों में समस्या होने लगती है. डॉक्टर्स की मानें तो तेज किरणों को सीधे आंखों से बहुत देर तक देखने पर रेटिनोपैथी से लेकर आंखों में छेद यानी मैकुलर होल भी हो सकता है. इसलिए इसे सावधानी से करने की आवश्यकता है.
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