नई दिल्ली. दिवाली तो चली गई लेकिन अब लोगों को छठ पूजा का बेसब्री से इंतज़ार है. इस बार सूर्य ग्रहण की वजह से त्योहारों की तारीख को लेकर लोगों के मन में असमंजस है. ऐसे में, लोगों के मन में छठ की तारीख को लेकर भी कन्फ्यूज़न है. तो आइए, आज हम आपकी इस […]
नई दिल्ली. दिवाली तो चली गई लेकिन अब लोगों को छठ पूजा का बेसब्री से इंतज़ार है. इस बार सूर्य ग्रहण की वजह से त्योहारों की तारीख को लेकर लोगों के मन में असमंजस है. ऐसे में, लोगों के मन में छठ की तारीख को लेकर भी कन्फ्यूज़न है. तो आइए, आज हम आपकी इस कन्फ्यूज़न को दूर करते हैं. बता दें, इस साल देश भर में छठ पूजा की शुरुआत 28 अक्टूबर से होगी. भगवान सूर्य और छठी माता को समर्पित आस्था का महापर्व छठ पूजा हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, चार दिनों तक छठ का ये महापर्व मनाया जाता है. इस साल ये 28 अक्टूबर 2022 से शुरू होगा और 31 अक्टूबर 2022 तक चलने वाला है. छठ पूजा में लोग संतान के स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु के लिए पूरे तीन दिन का निर्जला उपवास करते हैं, इस व्रत को महिलाओं के साथ-साथ अब पुरुष भी करने लगे हैं.
कार्तिक माह के चतुर्थी तिथि पर छठ पूजा का पहला दिन है. छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद ही व्रत को खोला जाता है.
छठ पूजा की शुरुआत 28 अक्टूबर 2022 से हो रही है, छठ के पहले दिन यानी 28 अक्टूबर को नहाय खाय होगा. इस व्रत में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना होता है इसलिए नहाय खाय के दिन महिलाएं नहाने के बाद घर की बहुत अच्छे से साफ़-सफाई करती हैं. नहाय खाय के दिन हर घर में चने की दाल, लौकी की सब्जी और भात प्रसाद के रूप में बनता है और इसे ही लोगों को भी परोसा जाता है. ध्यान रखें छठ के किसी भी खाने में साधारण नमक का इस्तेमाल नहीं होता है, इसकी जगह सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है.
छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना होता है, इस बार खरना 29 अक्टूबर को पड़ रहा है, इस दिन जो महिलाऐं व्रत रखती हैं वो खीर बनाती हैं. इस खीर को रात में खाया जाता है जिसके बाद इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. खीर खाने के बाद से ही व्रत की शुरुआत होती है.
छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, इस दिन व्रती महिलाएं नदी, तालाब या फिर घर में ही बने जल के कुंड में खड़े होकर अर्घ्य देती हैं. बता दें, 30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय – शाम 5 बजकर 37 मिनट है, तो इस समय महिलाऐं सूर्यदेव को अर्घ्य दे सकती हैं.
चौथे दिन व्रती पानी में खड़े होकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं, और इसके बाद ही छठ पूजा का समापन माना जाता है. इस साल 31 अक्टूबर को सूर्योदय समय- सुबह 6 बजकर 31 मिनट है, इसलिए इस समय महिलाएं सूर्यदेव को अर्घ्य देखर अपने व्रत का पारण कर सकती हैं.
मल्लिकार्जुन खड़गे ने ग्रहण किया कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार, अब चुनौतियों के अंबार से होगा सामना
Sitrang Effect : असम में सितरंग बना आफत, हजार से ज्यादा लोग प्रभावित, फसलें जलमग्न, मकान क्षतिग्रस्त