Magh Month 2024 Chaturthi: कब है लंबोदर संकष्टी चतुर्थी और विनायक चतुर्थी, जानें शुभ मुहूर्त और विधि

नई दिल्ली: सनातन धर्म में विनायक चतुर्थी तिथि का बहुत महत्व होता है. बता दें कि मासिक चतुर्थी, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में भगवान गणेश का व्रत और पूजन करने की परंपरा बहुत पुराना है. बता दें कि इस साल 26 जनवरी से माघ माह शुरू हुआ है, और इसका समापन भी 24 फरवरी […]

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Magh Month 2024 Chaturthi: कब है लंबोदर संकष्टी चतुर्थी और विनायक चतुर्थी, जानें शुभ मुहूर्त और विधि

Shiwani Mishra

  • January 27, 2024 1:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 10 months ago

नई दिल्ली: सनातन धर्म में विनायक चतुर्थी तिथि का बहुत महत्व होता है. बता दें कि मासिक चतुर्थी, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में भगवान गणेश का व्रत और पूजन करने की परंपरा बहुत पुराना है. बता दें कि इस साल 26 जनवरी से माघ माह शुरू हुआ है, और इसका समापन भी 24 फरवरी को होगा. बता दें कि इस महीने लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी और विनायक चतुर्थी मनाई जाती है. दरअसल धार्मिक मान्यता ये है कि चतुर्थी के शुभ काल में भगवान गणेश की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है और जीवन में ढेर सारी खुशियां आती हैं. तो आइए बात करते हैं लम्बोदर संकष्टी और विनायक चतुर्थी की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में ….

जानें शुभ मुहूर्त और विधि

पंचांग के मुताबिक माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 29 जनवरी को सुबह 06 बजकर 10 मिनट पर होगी और इसके अगले दिन यानी 30 जनवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर इस तिथि का समापन हो जायेगा. बता दें कि इस बार 29 जनवरी को लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी मनाई जाने वाली है.Sakat Chauth 2024 Date, Time: Til Chauth Kab Hai Know Sankashti Chaturthi January 2024 Date Or Tilkut Chauth Kis Din Hai - Sakat Kab Hai 2024 Date And Time: सकट चौथ व्रत

बता दें कि माघ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 12 फरवरी को शाम 05 बजकर 44 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट पर इसका तिथि ख़त्म हो जायेगा. दरअसल माघ महीने में 13 फरवरी को विनायक चतुर्थी का त्योहार मनाया जाने वाला है.

विनायक चतुर्थी पूजा की विधि

1. चतुर्थी तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहाकर कर साफ वस्त्र पहने.
2. इसके बाद चौकी पर कपड़ा बिछाकर गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करिए.
3. अब दीपक जलाएं फूल, माला और दूर्वा घास चढ़ाएं.
4. इसके बाद गणेश चालीसा पढ़ें और आरती करें.
5. इस मौके पर विशेष प्रसाद चढ़ाने का विधान है, जो बूंदी का लड्डू या फिर मोदक होता है। गणपति बप्पा को भोग लगाएं और लोगों में प्रसाद का वितरण करें.
6. चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करें.

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