Chandra Grahan 2019 Significance: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार क्या है चंद्रग्रहण लगने का कारण, समुंद्र मंथन से जुड़ा है कौन सा रहस्य?

Chandra Grahan 2019 Sutak: मंगलवार 16 जुलाई और बुधवार 17 जुलाई की मध्यरात्रि को चंद्रग्रहण लगने वाला है. शास्त्रों के अनुसार चंद्रग्रहण शुरू होने के 9 घंटे पहले ही सूतक लग जाता है. इस दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है. प्रकृति में कोई भी घटना होती है तो उसके पीछे कोई कारण जरूर होता है. पुराणों में चंद्र ग्रहण लगने के पीछे भी एक कहानी है.

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Chandra Grahan 2019 Significance: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार क्या है चंद्रग्रहण लगने का कारण, समुंद्र मंथन से जुड़ा है कौन सा रहस्य?

Aanchal Pandey

  • July 16, 2019 10:32 am Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. Chandra Grahan 2019 Significance: मंगलवार 16 जुलाई और बुधवार 17 जुलाई की आधी रात को साल का दूसरा चंद्रग्रहण लगने जा रहा है. चंद्रग्रहण रात 1.31 बजे से 4.30 बजे रहेगा. साल के आखिरी चंद्रग्रहण की अवधि 2 घंटे 29 मिनट तक रहेगी. इससे पहले सूतक काल शुरु हो जाएगा. सूतक ग्रहण 9 घंटे से पहले लग जाएगा. भारतीय समय के अनुसार भारत में 16 जुलाई शाम 4 बजकर 31 मिनट से ग्रहण का सूतक शुरू हो जाएगा. हिंदू धर्म में सूतक काल को अशुभ माना जाता है. इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. कहा जाता है कि प्रकृति में कोई भी घटना होती है तो उसके पीछे कोई कारण जरूर होता है.

वैज्ञानिक भाषा में समझें तो चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो तब होती है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया से गुजरता है. जब सूर्य और चांद के बीच पृथ्वी के आने से चंद्रमा पर प्रकाश पड़ना बंद होता तो उसे चंद्र ग्रहण कहते हैं.

चंद्र ग्रहण लगने का समय

खंडग्रास चंद्र ग्रहण कुल 2 घंटे 59 मिनट तक लगेगा. चंद्र ग्रहण 16 जुलाई की रात 1 बजकर 31 मिनट पर शुरु होगा और 17 जुलाई को सुबह 4 बजकर 30 मिनट पर ग्रहण खत्म होगा. इस दिन चंद्रमा शाम 6 बजे से 7 बजकर 45 मिनट तक उदय होगा. वहीं चंद्र ग्रहण का सूतक 16 जुलाई को 4 बजकर 31 मिनट से शुरु हो जाएगा.

धार्मिक रूप से चंद्र ग्रहण

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब देवों और दानवों में विवाद हुआ था तो इस समस्या के समाधान के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर लिया था. उन्होंने देवता और असुरों को अलग अलग बैठा दिया था. लेकिन उस दौरान धोखे से राहु ने अमृत पी लिया था. यह बात जब सूर्य और चंद्रमा ने भगवान विष्णु को बताई तो विष्णु ने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया था. लेकिन अमृत के कारण राहु मरा नहीं. उसके बाद से उसका सिर वाला भाग राहु और धड़ वाला भाग केतु के नाम से जाने जाना लगा. यही वजह है कि राहु केतु सूर्य और चंद्रमा को अपना दुश्मन मानते हैं और पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को ढ़क लेते हैं. इसलिए यह चंद्रग्रहण होता है.

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