Chaitra Purnima 2023: इस वर्ष कब है चैत्र पूर्णिमा, जानिए समय और महत्व

नई दिल्ली। हिंदू समाज में चैत्र के महीने में आने वाली पहली पूर्णिमा को चैत्र पूर्णिमा कहते हैं यद्यपि इसका उतना ही महत्व भी है । इस दिन कई लोग व्रत भी रखते है तथा दान पुण्य का काम भी करते हैं। ऐसा मानना है कि इस दिन अगर पूरी श्रद्धा से विधि पूर्वक पूजा […]

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Chaitra Purnima 2023: इस वर्ष कब है चैत्र पूर्णिमा, जानिए समय और महत्व

Apoorva Mohini

  • April 4, 2023 9:38 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। हिंदू समाज में चैत्र के महीने में आने वाली पहली पूर्णिमा को चैत्र पूर्णिमा कहते हैं यद्यपि इसका उतना ही महत्व भी है । इस दिन कई लोग व्रत भी रखते है तथा दान पुण्य का काम भी करते हैं। ऐसा मानना है कि इस दिन अगर पूरी श्रद्धा से विधि पूर्वक पूजा करें तो आप को अत्यंत लाभ मिलेगा साथ ही आपको जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति भी होगी।

कब है शुभ मुहूर्त

इस वर्ष चैत्र पूर्णिमा गुरुवार 6 अप्रैल को मनाई जानी है। हिंदू पंचाग के अनुसार मुहूर्त का प्रारंभ 5 अप्रैल को सुबह 9:00 बजकर 19 मिनट से शुरू है और समाप्ति अगले दिन 6 अप्रैल 2023 को सुबह 10:00 बजकर 4 मिनट पर है। हालांकि 6 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा मनाना है लेकिन जो लोग इस उपलक्ष्य पर व्रत या उपवास रखते हैं वें 5 अप्रैल को ही व्रत रखे।

जानिए चैत्र पूर्णिमा के महत्व की कहानी

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चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है क्योंकि ऐसा मानना है कि इसी दिन श्री राम भक्त भगवान हनुमान का जन्म हुआ था। इसके अलावा भगवान श्री कृष्ण से भी जुड़ी एक मान्यता है जो आज के दिन को और महत्वपूर्ण अथवा ख़ास बनाती है। माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ब्रज में महारास रचाया था जिसे लोग राज उत्सव भी कहते है, इस रास में प्रभु श्री कृष्ण ने अपनी एक और लीला से लोगो का मन मोह लिया था, इसमें तक़रीबन हज़ारों गोपियां शामिल हुई थीं और श्री कृष्ण ने हर एक के साथ नृत्य किया था। यह महारास चैत्र पूर्णिमा के दिन ही ख़त्म हुआ था इसलिए आज का दिन और महत्वपूर्ण माना जाता है।

चैत्र पूर्णिमा के लिए पूजा विधि

चैत्र पूर्णिमा के दिन सुबह-सुबह उठकर ब्रह्म मुहूर्त यानी सूर्योदय हने से पहले ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए उसके बाद सूर्य देव के मंत्रो के साथ उनकी उपासना करते है और फिर व्रत की शुरुआत करते हैं। दिन भर व्रत रहते हुए सत्यनाराण का पथ करने से और लाभ होता है उसके बाद रात में चंद्र दर्शन करके उन्हें जल देकर व्रत का पारण करना चाहिए।

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