नई दिल्लीः हर साल चैत्र माह की अमावस्या के अगले दिन से ही नवरात्रि शुरू होती है। नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। जीवन में सुख-शांति के लिए भी व्रत रखा जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस बार चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू हो […]
नई दिल्लीः हर साल चैत्र माह की अमावस्या के अगले दिन से ही नवरात्रि शुरू होती है। नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। जीवन में सुख-शांति के लिए भी व्रत रखा जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस बार चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू हो रही है। इस दिन घटस्थापना के बाद ही मां दुर्गा की पूजा की जाती है। ऐसे मेंआइए जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त, सामग्री और पूजा विधि के बारे में।
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तारीख की शुरुआत 08 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट से होगी और इसका समापन 09 अप्रैल को रात 08 बजकर 30 मिनट पर होगा। ऐसे में 09 अप्रैल से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होगी। इस दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 02 मिनट से लेकर 10 बजकर 16 मिनट तक है। वहीं, अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक है। इन 2 शुभ मुहूर्त में आप घटस्थापना कर सकते हैं।
कलश, (मिट्टी, चांदी या तांबे), गंगाजल, आम के पत्ते की डाली, सिक्का, अक्षत। जौ बोने के लिए – मिट्टी का बर्तन, एक साफ कपड़ा, जल, मिट्टी, कलावा और जौ। अखंड ज्योति के लिए – पीतल या मिट्टी का दीपक, घी, रुई की बत्ती, रोली, अक्षत।
मान्यता के अनुसार चैत्र नवरात्रि के शुभ काल में कलश स्थापना करने से साधक के घर में सौभाग्य का आगमन होता है। अगर आप कलश स्थापना करना चाहते हैं तो चांदी, मिट्टी या तांबे के कलश पर घटस्थापना कर सकते हैं। घटस्थापना में लोहे या स्टील के बर्तनों का प्रयोग न करें। घटस्थापना करने से पहले मंदिर को साफ कर लें. अब घटस्थापना वाले स्थान को गंगा जल छिड़क कर शुद्ध कर लें। फिर हल्दी अष्टदल तैयार करें, कलश में साफ पानी डालें और उसमें लौंग, अक्षत, हल्दी, सिक्के, इलायची, पान के पत्ते और फूल आदि चीजें डालें। फिर उस पर रोली से स्वस्तिक बनाएं। अंत में कलश स्थापित करते समय मां दुर्गा का ध्यान करें।
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