नई दिली, नौ दिनों की नवरात्रि (Chaitra Navratri 2022) में मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है जिसमे नवरात्रि के तीसरे दिन दुर्गा मां के चंद्रघंटा रूप की पूजा की जाती है. मां चंद्रघंटा राक्षसों का वध करने के लिए जानी जाती हैं. कहा जाता है कि माँ चंद्रघंटा अपने भक्तों के दुखों को दूर करती हैं, माँ के दोनों हाथों में धनुष, त्रिशूल, तलवार और गदा होती है. देवी के सिर पर घंटे के आकार का आधा चाँद रहता है, इसी कारण भक्तजन उन्हें चंद्रघंटा कहते हैं.
मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों को लम्बी आयु, आरोग्य, सुखी और संपन्न होने का वरदान प्राप्त होता है. मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधाएं नष्ट हो जाती है और साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का विकास होता है. उसके मुख, नेत्र तथा सम्पूर्ण काया में कांति वृद्धि होती है एवं स्वर में दिव्य-अलौकिक माधुर्य का समावेश हो जाता है.
नवरात्रि के तीसरे दिन माता दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की विधि विधान से पूजा से की जाती है और ”ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः” का मंत्र पढ़कर भक्त उनकी आराधना करते हैं. इसके बाद मां चंद्रघंटा को सिंदूर, अक्षत्, गंध, धूप, पुष्प आदि अर्पित कर देवी मां को चमेली का पुष्प या कोई भी लाल फूल अर्पित किया जाता है, इसके साथ ही दूध से बनी मिठाई का भोग माँ को लगाया जाता है. पूजा के दौरान दुर्गा चालीसा का पाठ और दुर्गा आरती का गान करने की भी विशेष मान्यता है.
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