Chaitra Navratri 2019 Ghatasthapana muhurat: 6 अप्रैल से चैत्र नवरात्री शुरू हो रही है. एक हफ्ते तक चलने वाले इन नवरात्रों में व्रत और पूजा करने से देवी मां अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करती हैं. जानें किस दिन पड़ेगा कौन सा नवरात्र और क्या है घट स्थापना मुहूर्त और पूजा विधि.
नई दिल्ली. हिंदू धर्म के अनुसार नया साल शुरू होने वाला है. हिंदू धर्म का नया साल चैत्र नवरात्र से शुरू होता है. इस साल चैत्र नवरात्र 6 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं. यूं तो साल में दो बार नवरात्र आते हैं लेकिन दोनों ही नवरात्र का महत्व और पूजा विधि अलग है. नवरात्र में देवी मां की आराधना करने से मां भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं.
इन नवरात्र में मां की पूजा के साथ ही घट स्थापना भी की जाती है. घट स्थापना का मतलब है कलश की स्थापना करना. इसे सही मुहूर्त में ही करना चाहिए. इसके अलावा पूजा विधि का भी खास ख्याल रखना चाहिए. जानिए इस साल किस दिन पड़ेगा कौन सा नवरात्र. साथ ही जानें किस मुहूर्त में करें घट स्थापना.
नवरात्र तारीख
– पहला नवरात्र 6 अप्रैल शनिवार को
– दूसरा नवरात्र 7 अप्रैल रविवार को
– तीसरा नवरात्र 8 अप्रैल सोमवार को
– चौथा नवरात्र 9 अप्रैल मंगलवार को
– पांचवां नवरात्र 10 अप्रैल बुधवार को
– छष्ठ नवरात्र 11 अप्रैल वीरवार को
– सातवां नवरात्र 13 अप्रैल शनिवार को
– अष्टमी 13 अप्रैल शनिवार को
– नवमी 14 अप्रैल रविवार को
किन देविओं को पूजें
नवरात्र के दौरान प्रति दिन अलग देवी की पूजा की जाती है. पहले नवरात्र से लेकर आखिरी नवरात्र तक अलग देवी की पूजा करते हैं ताकि जीवन के हर मोड़ पर भगवान का आशीर्वाद बना रहे. ऐसे में पहले नवरात्र से लेकर आखिरी नवरात्र तक माता शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री देवी मां के वो नौ रूप हैं जिनकी पूजा की जाती है.
घट स्थापना मुहूर्त
इस साल 6 अप्रैल, शनिवार से नवरात्र शुरू हो रहे हैं. शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन अभिजीत मुहूर्त में 6 बजकर 9 मिनट से लेकर 10 बजकर 19 मिनट के बीच घट स्थापना करना बेहद शुभ होगा. दरअसल माना जाता है कि ये मुहूर्त सभी देवी साधकों और आम भक्तों के लिए यह शुभ है और इस मुहूर्त में किया जाने वाला अच्छा काम सफल रहता है.
पूजा विधि
देविओं को प्रसन्न करने के लिए नवरात्र में धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ का आयोजन किया जाता है.
– पहले सुबह स्नान करकें मिट्टी की वेदी बनाएं.
– मिट्टी की वेदी पर घट स्थापित करें.
– घट पर कुल देवी की प्रतिमा स्थापित करें.
– रोज सुबह दुर्ग सप्तशती का पाठ करें.
– अखंड दीप जलाएं.
– अष्टमी और नवमी के दिन कुमारी पूजन व कन्याभोज का आयोजन करें.