नई दिल्ली। हिंदू धर्म के मुताबिक सेहत और समृद्धि के लिए चैत्र माह सबसे महत्वपूर्ण होता है। सर्दियों के मौसम के बाद इसी माह से गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है। ऐसे में मौसम परिवर्तन के कारण कई तरह की बीमारियां भी पैदा होती हैं। इसी वजह से इस मौसम में लोगों को सर्दी, […]
नई दिल्ली। हिंदू धर्म के मुताबिक सेहत और समृद्धि के लिए चैत्र माह सबसे महत्वपूर्ण होता है। सर्दियों के मौसम के बाद इसी माह से गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है। ऐसे में मौसम परिवर्तन के कारण कई तरह की बीमारियां भी पैदा होती हैं। इसी वजह से इस मौसम में लोगों को सर्दी, खासी, जुकाम, गले में दर्द, पेट दर्द, उल्टी और कई अन्य प्रकार की बीमारियां होने लगती हैं।
दरअसल, ऐसा माना जाता है कि चैत्र माह में नीम के पेड़ में मां शीतला और मां दुर्गा का वास होता है। इसलिए इनकी असीम कृपा से सेहत और समृद्धि को अर्जित किया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं चैत्र माह के महत्व और इस माह में अपनाएं जाने वाले नीम के खास उपायों के बारे में।
आयुर्वेद के अनुसार, नीम के पेड़ का बहुत महत्व होता है। चैत्र माह में नीम के पेड़ में मां दुर्गा के साथ-साथ मां शीतला का वास होता है। इसलिए मंगलवार को नीम के पेड़ की पूजा अवश्य करनी चाहिए। मंगलवार के दिन नीम के पेड़ में चमेली के तेल का दिया दिखा कर जल अर्पित करना चाहिए। जल अर्पित करते समय ऊं शीतला मात्रे नम मंत्र का अवश्य जाप करें। ऐसा माना जाता है कि इससे मानसिक और शारीरिक रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
इसके अलावा चैत्र माह में वायु में कई तरह के बैक्टीरिया पैदा होते हैं, इनसे बचने के लिए सुबह-सुबह नीम के दातुन से मुंह की सफाई अवश्य करनी चाहिए। इससे दांतों की सफाई तो होती ही है साथ ही पेट की भी सफाई हो जाती है। नीम में कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो कि पेट को साफ रखने में मदद करते हैं।
नीम की दातून के अलावा नीम के कड़वे पत्ते भी शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। इनके सेवन से डायबिटीज और किडनी से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
(Disclaimer: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। जिसका किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं की गई है। यहां दी गई किसी भी जानकारी या मान्यता पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)