उत्पन्ना एकादशी का व्रत हर साल मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने से सभी पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
नई दिल्ली: उत्पन्ना एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत हर साल मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने से सभी पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। 2024 में उत्पन्ना एकादशी 26 नवंबर को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं इस दिन क्या करें और किन बातों से बचें ताकि फलों की प्राप्ति हो सके।
1. व्रत का संकल्प लें: इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
2. भगवान विष्णु की पूजा करें: विष्णु भगवान को ताजे फूल, तुलसी दल और फल अर्पित करें। उनका ध्यान करते हुए विष्णु सहस्त्रनाम या श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करें।
3. दान करें: इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना शुभ माना जाता है। विशेष रूप से अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान करें।
4. भजन-कीर्तन करें: दिनभर भजन-कीर्तन और मंत्र जप में समय बिताएं। “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
5. सात्विक भोजन ग्रहण करें: व्रत के दौरान केवल फलाहार और सात्विक भोजन करें।
1. निंदा और झूठ से बचें: इस दिन किसी की निंदा, झूठ बोलना या अपशब्द कहना निषेध है।
2. अनाज और मसूर दाल का सेवन न करें: एकादशी के दिन चावल, गेहूं और मसूर दाल जैसे तामसिक भोजन से बचें। यह व्रत के प्रभाव को कम कर सकता है।
3. क्रोध और विवाद न करें: शांत और संयमित रहकर भगवान का ध्यान करें। क्रोध और विवाद व्रत की ऊर्जा को प्रभावित कर सकते हैं।
4. ज्यादा समय तक न ले नींद: इस दिन ज्यादा सोना व्रत के नियमों के खिलाफ माना जाता है। समय का उपयोग पूजा और भक्ति में करें।
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