नई दिल्ली। प्रत्येक वर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी(Bhishma Ashtami 2024) होती है। इस साल भीष्म अष्टमी कल यानी 16 फरवरी को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भीष्म पितामह ने उत्तरायण होने पर अपने प्राण त्याग दिए थे। इस दिन को भीष्म पितामह की पुण्यतिथि के रूप में भी जाना जाता है। ऐसे में भीष्म अष्टमी का व्रत रखना बेहद फलदायक माना गया है। साथ ही ये भी माना जाता है कि इस व्रत को रखने से रखने से ईमानदार संतान की प्राप्ती होती है।
बता दें कि माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का शुभारंभ 16 फरवरी को सुबह 8:54 पर होगा। जिसके बाद इसका समापन अगले दिन यानी 17 फरवरी को सुबह 8 बजकर 15 मिनट पर होगा। इसी लिए 16 फरवरी को भीष्म अष्टमी (Bhishma Ashtami 2024) मनाई जाएगी। वहीं, मध्याह्न का समय सुबह 11 बजकर 28 मिनट से 01 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।
दरअसल, महाभारत काल में भीष्म पितामह ने ब्रह्मचर्य अपनाया था। साथ ही उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान भी मिला था। जिसके लिए भीष्म पितामह ने माघ महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को चुना। इसकी वजह ये थी कि इस दिन से सूर्यदेव उत्तरायण की ओर जाने लगते हैं। इस समय को सनातन धर्म में काफी शुभ माना गया है।
इस भीष्म अष्टमी(Bhishma Ashtami 2024) के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लेकर शिव जी की पूजा-अर्चना करें। इसके बाद पंडित के द्वारा पितरों का तर्पण करवाएं और शाम को व्रत का पारण करें।
(Disclaimer: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। जिसका किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं की गई है। यहां दी गई किसी भी जानकारी या मान्यता पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)
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