नई दिल्ली। नए वर्ष में 9 जनवरी 2024 को साल का पहला प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat 2024) रखा जाएगा। दरअसल, इसी दिन मासिक शिवरात्रि का संयोग भी बन रहा है। ऐसे में भगनवान शिव की पूजा करने से व्रती को अक्षय पुण्य का लाभ प्राप्त होगा। साथ ही इस व्रत को करने से हर […]
नई दिल्ली। नए वर्ष में 9 जनवरी 2024 को साल का पहला प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat 2024) रखा जाएगा। दरअसल, इसी दिन मासिक शिवरात्रि का संयोग भी बन रहा है। ऐसे में भगनवान शिव की पूजा करने से व्रती को अक्षय पुण्य का लाभ प्राप्त होगा। साथ ही इस व्रत को करने से हर तरह के दुख, रोग, संताप, कष्ट आदि से मुक्ति मिलेगी। जानकारी के अनुसार ये पौष और जनवरी का पहला प्रदोष व्रत, भौम प्रदोष व्रत होगा।
मांगलिक दोष – दरअसल, मंगलवार के दिन त्रयोदशी तिथि होने के कारण ये भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat 2024) कहलाता है। इस दिन वो लोग जिनके विवाह में अड़चने आ रही हैं या रिश्ता बार-बार टूट रहा है वो इस दिन मंगलदेव के 21 नामों का जाप करें। ऐसा माना जाता है कि इससे मांगलिक दोष शांत होता है। साथ ही विवाह की मनोकामना पूरी भी होती है।
शिव-हनुमान जी करेंगे उद्धार – हनुमान जी को भगवान शिव का रूद्रावतार माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भौम प्रदोष का व्रत करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। इस दिन ॐ ऐं भ्रीम हनुमते, श्री राम दूताय नमः मंत्र का जाप करने से आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है।
दांपत्य जीवन में आएगी मिठास – भौम प्रदोष व्रत के दिन रेशमी कपड़ों से भगवान शिव का मण्डप बनाएं। इसके बाद आटे और हल्दी से स्वास्तिक बनाएं। साथ ही शिवलिंग को स्थापित कर बेलपत्र, भांग, धतूरा, मदार पुष्प और पंचगव्य से इसकी पूजा करें। मान्यता के अनुसार इससे पति-पत्नी के बीच की दूरियां खत्म होती हैं। दोनों के विचार एकमत होते हैं और स्नेह बढ़ता है।
कर्ज से मिलेगी मुक्ति – भौम प्रदोष व्रत वाले दिन शिवलिंग पर केसर मिश्रित जल चढ़ाकर 11 बार शिव चालीसा और फिर 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
पंचांग के मुताबिक पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 8 जनवरी 2024 को रात 11 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी। जो कि अगले दिन 9 जनवरी 2024 को रात 10 बजकर 24 मिनट पर संपन्न होगी।
शिव पूजा का मुहूर्त – शाम 05.41 से रात 08.24
अवधि – 02.43
(Disclaimer: यहां पर मुहैया करायी गई सूचना मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। जिसे अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें। )