Bharat Vs India: ऐसे पड़ा आर्यवर्त का नाम भारत, जानें इस संस्कृति के पन्ने को

नई दिल्ली : महर्षि विश्वामित्र ने दैवीय शक्तियां प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की कर रहे थे. उनके पश्चाताप का प्रभाव धीरे-धीरे देवताओं के लोक तक पहुंच गया, और देवराज इंद्र का सिंहासन डोलने लगा, विश्वामित्र की तपस्या का उद्देश्य अलग था, फिर भी इंद्र को लगा कि विश्वामित्र स्वर्गलोक पर अधिकार प्राप्त करना […]

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Bharat Vs India: ऐसे पड़ा आर्यवर्त का नाम भारत, जानें इस संस्कृति के पन्ने को

Shiwani Mishra

  • April 1, 2024 9:17 am Asia/KolkataIST, Updated 8 months ago

नई दिल्ली : महर्षि विश्वामित्र ने दैवीय शक्तियां प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की कर रहे थे. उनके पश्चाताप का प्रभाव धीरे-धीरे देवताओं के लोक तक पहुंच गया, और देवराज इंद्र का सिंहासन डोलने लगा, विश्वामित्र की तपस्या का उद्देश्य अलग था, फिर भी इंद्र को लगा कि विश्वामित्र स्वर्गलोक पर अधिकार प्राप्त करना चाहते हैं. अत: तपस्या भंग करना अनिवार्य हो गया. जिससे इंद्र ने मेनका नाम की अत्यंत सुंदर अप्सरा को चुना और उसे विश्वामित्र की तपस्या भंग करने के लिए भेजा. बता दें कि मेनका पश्चाताप के स्थान पर पहुँची, जिस समय विश्वामित्र नदी में स्नान कर रहे थे जैसे ही ऋषि नदी से बाहर आये, उनकी नज़र कामुक और आकर्षक मेनका पर पड़ी. How Was The Country Named Bharat Interesting Facts And History - Amar Ujala  Hindi News Live - आखिर हमारे देश का नाम कैसे पड़ा भारत? बड़ा ही रोचक है  इतिहासजैसे ही विश्वामित्र ने उन्हें देखा तो वो मंत्रमुग्ध हो गये उन्होंने कोशिश की मेनका की ओर न देखें, लेकिन विश्वामित्र का मन मेनका की सुंदरता में ही उलझा रहा, मेनका की मादक सुगंध से ऋषि का मन घबरा गया, और यहां तक ​​कि उनकी कठोर तपस्या से उत्पन्न उनकी चमकदार आभा की चमक भी मेनका के आकर्षण के सामने फीकी थी, अचानक मेनका ने आगे आकर विश्वामित्र का हाथ पकड़ लिया और तपस्या भंग हो चुकी थी, लेकिन कहानी यहीं ख़त्म नहीं हुई है!

जानें इस संस्कृति के पन्ने को

विश्वामित्र मेनका के आकर्षण में फंस गए, जिसकी कीमत मेनका को चुकानी पड़ी. मेनका को सचमुच विश्वामित्र से प्रेम हो गया. बता दें कि विश्वामित्र ने मेंनका के सामने विवाह का प्रस्ताव भी रखा, विश्वामित्र की तपस्या भंग करने के बाद मेंनका को देवलोक के पास लौटना था, लेकिन उसे डर था कि अगर विश्वामित्र क्रोधित हो गए तो उसे शाप दिया जाएगा, इसलिए वो विश्वामित्र से विवाह करने के लिए तैयार हो गई, ऋषि के क्रोध से बचने और उन्हें दोबारा पश्चाताप करने से रोकने का यही एकमात्र तरीका था, तब विश्वामित्र और मनका का विवाह हो गया. Vishwamitra Jayanti गायत्री मंत्र के द्रष्टा, उपदेष्टा ऋषि विश्वामित्रअब ऋषि विश्वामित्र संन्यासी से गृहस्थ बन गए और मेनका अप्सरा से गृहिणी कुछ समय बाद मेनका गर्भवती हुई और उसने एक अत्यंत सुंदर कन्या को जन्म दिया. विश्वामित्र ने कन्या का नाम ‘शकुंतला’ रखा, इस बीच मेनका भूल ही गई कि वह एक अप्सरा है, परंतु देवराज इंद्र को ये बात याद थी. एक दिन इंद्र अवसर देखकर मेनका के पास आए और बोले, ‘मेनका! मैंने तुम्हें जिस काम के लिए भेजा था, वो कब का पूरा हो गया ! अब तुम्हें तुरंत स्वर्ग लौट आना चाहिए’. अप्सरा मेनका अब गृहिणी बन चुकी थी. वो बोली ‘देवराज, मेरा अपना परिवार है. मैं यदि पति और पुत्री को छोड़कर देवलोक लौट गई, तो उन दोनों का क्या होगा?’

आर्यवर्त का नाम पड़ा भारत

बता दे कि ये सुनकर इंद्र को क्रोध आ गया, बोले तुम भूल कैसे गई कि तुम अप्सरा हो और अप्सराओं के परिवार नहीं होते. तुम्हारा कार्य केवल देवताओं का मनोरंजन करना है! यदि तुम देवलोक नहीं लौटीं, तो मैं तुम्हें शाप देकर शिला में बदल दूंगा. किसी भी स्थिति में तुम परिवार नहीं बसा सकती’. Apsara Rambha turn into stone curse of Rishi Vishwamitra Hindu Mythological  story in Hindi - Astrology in Hindi - जब महान ऋषि की तपस्या भंग करने पहुंची  स्वर्ग की सुंदर अप्सरा, श्रापबता दें कि मेनका अपने परिवार को नहीं छोड़ना चाहती थी, लेकिन इंद्र ने उसके लिए कोई विकल्प नहीं छोड़ा था, और वो जानती थी कि उसके जाने से विश्वामित्र और शकुंतला, दोनों दुखी होंगे. उसने विश्वामित्र को सारी बात कह दी. विश्वामित्र को दुख तो बहुत हुआ, किंतु उन्होंने मेनका को जाने से नहीं रोका। आखिरकार, मेनका को देवलोक लौटना ही पड़ा. इसके साथ कालांतर में शकुंतला का सम्राट दुष्यंत से विवाह हुआ और उन्होंने एक यशस्वी बालक को जन्म दिया,जो बड़ा होकर राजा भरत के नाम से विख्यात हुआ. उसी के नाम से हमारे देश का नाम ‘भारत’ पड़ा.

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