Bhai Dooj 2020 Pooja Vidhi Hindi: इस दिन होगा भाई दूज का त्योहार, जानें शुभ मुहू्र्त, पूजा विधि और समय

Bhai Dooj 2020 Pooja Vidhi Hindi: भाई दूज का त्योहार इस वर्ष 16 नवंबर 2002 को पड़ रहा है. भाईदूज का पर्व विशेषकर भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और स्नेह का प्रतीक होता है. रक्षाबंधन पर्व कह तरह ही भाईदूज का पर्व भी मनाया जाता है. भाईदूज का पर्व कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इसे यम द्वितीया भी कहते हैं.

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Bhai Dooj 2020 Pooja Vidhi Hindi: इस दिन होगा भाई दूज का त्योहार, जानें शुभ मुहू्र्त, पूजा विधि और समय

Aanchal Pandey

  • October 18, 2020 7:28 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 years ago

Bhai Dooj 2020 Pooja Vidhi Hindi: भाईदूज का पर्व विशेषकर भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और स्नेह का प्रतीक होता है. रक्षाबंधन पर्व कह तरह ही भाईदूज का पर्व भी मनाया जाता है. भाईदूज का पर्व कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इसे यम द्वितीया भी कहते हैं. भाईदूज दीपावली पर्व के दो दिन बाद आता है. भाईदूज के दिन बहनें अपने भाईयों का तिलक करके उनकी लंबी आयु और सुख, समृद्धि की कामना करती हैं.

भाईदूज का शुभ मुहूर्त 2020

साल 2020 में भाईदूज का पर्व 16 नवंबर 2020, दिन सोमवार के दिन मनाया जाएगा.

द्वितीया तिथि प्रारंभ होगी, 16 नवंबर 2020 को प्रात:काल 07:06 बजे।

द्वितीया तिथि समाप्त होगी, 17 नवंबर 2020 को प्रात:काल 03:56 बजे.

भाईदूज तिलक का शुभ मुहूर्त 16 नवंबर 2020 दोपहर 01:10 बजे से सांयकाल 03:18 बजे तक.

पूजा की कुल अवधि, 02 घंटे, 08 मिनट.

भाईदूज की पूजाविधि

भाईदूज एक ऐसा पर्व है जो भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है. भाई के मौके पर बहनें श्रद्धा भाव के साथ अपने भाई का तिलक करके उनकी समृद्धि और सुख की कामना करती है. इस दिन प्रात:काल स्नाना आदि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर श्रीविष्णु भगवान और गणपति की पूजा करनी चाहिए. और इसके बाद भाई का तिलक करने के लिए आरती का थाल सजाएं. थाल में कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल-फूल, सुपारी आदि रखने के बाद अपने भाई को चौकी पर बैठाकर शुभ मुहूर्त में उसका तिलक करें. तिलक के बाद पान, सुपारी, बताशे, गोला, वस्त्र और काले चने आदि भाई को देने चाहिए. और इसके बाद भाई की आरती करें.

भाईदूज का महत्व

ऐसा माना जाता है कि कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन यमदेव की बहन यमुना ने यमदेव को अपने घर बुलाकर आदरपूर्वक भोजन कराया था. जिसके कारण उस दिन नारकीय जीवों को यातना से छुटकारा मिला था. और वे तृप्त हो गए. तभी से यह दिन यम द्वितीया के नाम से प्रसिद्ध हुआ. और इस दिन यमुना नदी की पूजा करने से भय से मुक्ति मिलती है. इस दिन भाई का बहन के घर भोजन करना बहुत शुभ माना जाता है. और इस दिन यमुना नदी में स्नान करने का भी बहुत अधिक महत्व है.

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