नई दिल्ली: शालिग्राम को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। शालिग्राम भगवान विष्णु का एक रूप है, जिसे खासकर वैष्णव संप्रदाय में पूजा जाता है। लेकिन इसे घर में स्थापित करने से पहले कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना आवश्यक है। यदि इन नियमों का ध्यान नहीं रखा गया, तो घर में दोष उत्पन्न हो सकता है, जो परिवार के सदस्यों के लिए हानिकारक हो सकता है। यदि आप भी इस जन्माष्टमी पर शालिग्राम पत्थर लाने की सोच रहे हैं तो जानिए इसके कुछ नियम।
शालिग्राम एक प्रकार का पत्थर होता है, जो विशेष रूप से नेपाल के गंडकी नदी में पाया जाता है। यह पत्थर भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है और इसकी पूजा से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। शालिग्राम का आकार, रंग, और उसमें बने विशेष चिन्ह इसे अलग-अलग प्रकारों में विभाजित करते हैं, जैसे कि लक्ष्मी नारायण शालिग्राम, वराह शालिग्राम, राम शालिग्राम, आदि। इस पत्थर का विशेष महत्व है क्योंकि यह भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार शालिग्राम की पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
1. शुद्धता का ध्यान रखें: शालिग्राम को घर में लाने से पहले आपको और आपके घर को शुद्ध करना आवश्यक है। किसी भी प्रकार की अशुद्धता या अपवित्रता शालिग्राम की स्थापना से पहले हटा देनी चाहिए। घर के सभी सदस्यों को भी शुद्ध और स्वच्छ होना चाहिए।
2. स्थान का चयन: शालिग्राम को घर के पूजा स्थल पर ही रखना चाहिए। इसे बेडरूम, किचन, या अन्य किसी अशुद्ध स्थान पर रखने से बचना चाहिए। पूजा स्थल को हमेशा साफ और पवित्र रखना चाहिए।
3. प्रतिदिन पूजा-अर्चना: शालिग्राम को घर में स्थापित करने के बाद उसकी प्रतिदिन पूजा-अर्चना करना अनिवार्य होता है। यदि आप शालिग्राम की पूजा नियमित रूप से नहीं कर सकते, तो इसे घर में लाने से बचना चाहिए। पूजा के लिए तुलसी के पत्ते, अक्षत (चावल), जल, धूप और दीपक का उपयोग किया जाता है।
4. व्रत और उपवास: शालिग्राम की स्थापना के बाद घर के मुख्य व्यक्ति को विष्णु भगवान के व्रत और उपवास का पालन करना चाहिए। विशेष रूप से एकादशी के दिन उपवास रखना अत्यंत शुभ माना जाता है।
5. अनुशासन और संयम: शालिग्राम की पूजा के दौरान परिवार के सभी सदस्यों को संयम और अनुशासन का पालन करना चाहिए। किसी भी प्रकार की नकारात्मकता, क्रोध, या अपशब्दों से बचना चाहिए।
6. शालिग्राम का अभिषेक: शालिग्राम का नियमित अभिषेक करने से घर में शुभता और समृद्धि आती है। अभिषेक के लिए गंगाजल, दूध, दही, शहद, और पंचामृत का उपयोग किया जाता है। इसके बाद शालिग्राम पर तुलसी के पत्ते अर्पित करना चाहिए।
7. शालिग्राम का स्थान बदलना: एक बार शालिग्राम की स्थापना कर दी जाए तो उसे बार-बार इधर-उधर नहीं करना चाहिए। इसे एक ही स्थान पर स्थिर रखकर पूजा करें। स्थान बदलने से दोष उत्पन्न हो सकता है।
यदि शालिग्राम की उचित देखभाल और पूजा नहीं की जाती है, तो घर में दोष उत्पन्न हो सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप परिवार के सदस्यों को स्वास्थ्य समस्याएं, धन की कमी, और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। शालिग्राम की पूजा में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं करनी चाहिए। शालिग्राम का घर में लाना और उसकी पूजा-अर्चना करना अत्यंत शुभ होता है, लेकिन इसके लिए कुछ नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। इन नियमों का पालन न करने पर शालिग्राम से मिलने वाली सकारात्मक ऊर्जा की जगह घर में दोष उत्पन्न हो सकते हैं। इसलिए यदि आप शालिग्राम को घर में लाने की सोच रहे हैं, तो उपरोक्त नियमों का सख्ती से पालन करें और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करें।
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