वानरों के राजा बाली को उनकी असीम ताकत और अद्भुत युद्ध कौशल के लिए जाना जाता है। रामायण के अनुसार, बाली जिसे भी चुनौती देते थे,
नई दिल्ली: वानरों के राजा बाली को उनकी असीम ताकत और अद्भुत युद्ध कौशल के लिए जाना जाता है। रामायण के अनुसार, बाली जिसे भी चुनौती देते थे, उसकी आधी शक्ति खुद में समाहित कर लेते थे, जिससे उन्हें हराना नामुमकिन हो जाता था। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बाली का जन्म किसी स्त्री से नहीं, बल्कि दो पुरुषों के माध्यम से हुआ था। आइए जानते हैं इस अनोखी कथा के बारे में…
वाल्मीकि रामायण में एक रोचक कहानी मिलती है। ऋक्षराज नाम का एक वानर ऋष्यमूक पर्वत पर रहता था। एक दिन वह एक विशेष तालाब में नहा लिया, जिसकी शक्ति यह थी कि जो भी उसमें स्नान करता, वह एक सुंदर स्त्री में बदल जाता था। ऋक्षराज भी एक सुंदर स्त्री बन गए। उसी समय देवराज इंद्र ने उन्हें देखा और मोहित हो गए। उनके तेज (वीर्य) के बाल पर गिरने से एक शक्तिशाली वानर का जन्म हुआ, जिसे “बाली” नाम दिया गया।
कथाओं के अनुसार, बाली को उनके पिता देवराज इंद्र ने एक दिव्य हार दिया था। इस हार को ब्रह्मा जी ने अभिमंत्रित किया था। जब बाली इसे पहनकर किसी से लड़ाई करते, तो सामने वाले की आधी शक्ति बाली के शरीर में समा जाती थी। इस वजह से बाली को हराना असंभव हो जाता था, और वे हमेशा विजयी होते थे।
बाली और सुग्रीव के बीच विवाद तब हुआ जब मायावी नाम का एक राक्षस बाली को युद्ध के लिए चुनौती देकर एक गुफा में घुस गया। बाली उसका पीछा करते-करते गुफा में चला गया और सुग्रीव बाहर इंतजार करने लगे। लंबे समय बाद गुफा से खून बहता देख सुग्रीव ने सोचा कि बाली मारा गया है। इस भ्रम में उन्होंने गुफा को एक बड़े पत्थर से बंद कर दिया और खुद राजा बन गए। जब बाली वापस लौटे और सुग्रीव को राजा की गद्दी पर बैठे देखा, तो उन्होंने क्रोधित होकर सुग्रीव को राज्य से बाहर निकाल दिया।
जब भगवान श्रीराम अपनी पत्नी सीता की खोज में सुग्रीव से मिले, तब उन्हें पता चला कि बाली ने सुग्रीव के साथ अन्याय किया और उनकी पत्नी को भी अपने पास रख लिया। इसके बाद, श्रीराम ने सुग्रीव का न्याय करते हुए योजना बनाकर बाली का वध कर दिया। बाली ने मृत्यु से पहले श्रीराम से पूछा, “मेरा अपराध क्या था?” इस पर श्रीराम ने उत्तर दिया, “छोटे भाई की पत्नी पुत्री समान होती है, और तुमने उसे बलपूर्वक अपने पास रखा। यही तुम्हारे वध का कारण है।”
इस लेख में दी गई जानकारी धर्म ग्रंथों, ज्योतिषियों और मान्यताओं पर आधारित है। पाठकों से अनुरोध है कि इसे जानकारी के रूप में ही लें।
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