Balaram Jayanti 2019: बलराम जयंती हर साल भाद्रपद्र महीने के कृष्ण पक्ष की पष्ठी तिथि को मनाई जाती है. इसे हलछठ और हलषष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. बलराम जयंती महिलाओं के लिए विशेष बताई गई है. इस दिन विधि विधान पूजा और व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है.
नई दिल्ली. श्रीकृष्ण भगवान के बड़े भाई और शेषनाग के अवतार बलरामजी की जयंती प्रत्येक वर्ष भाद्रपद्र माह के कृष्ण पक्ष की पष्ठी तिथि को मनाई जाती है. बलराम जयंती को हलषष्ठी और हलछठ के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि भगवान विष्णु के हर एक अवतार के साथ शेषनाग का अवतार हुआ है. ऐसे में द्वापर युग में पहले बलरामजी ने शेषनाग के अवतार में और बाद में श्रीकृष्ण ने विष्णु जी के अवतार में जन्म लिया. बलराम जयंती का त्योहार महिलाओं के लिए काफी ज्यादा खास बताया गया है. कहा जाता है कि जो महिला इस दिन संतान प्राप्ति के लिए विधि विधान के साथ व्रत करती हैं उन्हें जल्द ही संतान सुख की प्राप्ति होती है.
बलराम जयंती का शुभ मुहूर्त 21 अगस्त सुबह 5.30 बजे से शुरू होकर गुरुवार की सुबह 7.06 तक रहेगा. श्रीकृष्ण के भाई बलराम का मुख्य शस्त्र हल और मूसल बताया गया है इसलिए उन्हें हलधर भी कहा जाता है. इसलिए बलराम जयंती पर किसानों के घर हल और बैल की पूजा की जाती है. इस दिन बिना हल चले धरती से पैदा हुई चीजों का खाने का खास महत्व है. दूध और दूध से बनी चीजों का सेवन से बचना चाहिए. बलराम जयंती पर महिलाएं पुत्र की तमाम तरह की आपदाओं से रक्षा करने के लिए भी व्रत करती हैं और शाम में पसई के चावल खाकर पारण करती हैं. बलराम जयंती पर महिलाएं सिर्फ तालाब में उगे फलों या चावलों को खाकर व्रत करते हैं.
बलराम जयंती पूजा विधि
बलराम जयंती के मौके पर खासतौर पर पुत्रवती महिलाएं सुबह उठाकर स्नान करें और व्रत करने का संकल्प लें. जिसके बाद दिन के समय में व्रत करने वाली महिलाएं बलराम जी और हल का पूजन करें. महिलाएं इस दिन निराहार रहें. शाम के समय आरती करने के बाद फलाहार करें. मान्यता है कि श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी की जयंती से व्यक्ति को धन और एश्वर्य की प्राप्ति होती है.
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