Balaram Jayanti 2019 Date on 21 August: हर साल भाद्रपद्र माह के कृष्ण पक्ष की पष्ठी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलरामजी की जयंती मनाई जाती है. इस साल 21 अगस्त बुधवार को बलराम जयंती पड़ रही है. बलराम जयंती को हलषष्ठी और हलछठ के नाम से भी जाना जाता है. जानिए बलराम जयंति का महत्व और पूजा तिथि.
नई दिल्ली. Balaram Jayanti 2019 Date on 21 August भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलरामजी की जयंती प्रत्येक वर्ष भाद्रपद्र माह के कृष्ण पक्ष की पष्ठी तिथि को मनाई जाती है. द्वारकाधीश के बड़े भाई बलराम को शेषनाग का अवतार कहा गया है. जब-जब दुनिया में विष्णु जी ने अवतार लिया है तब-तब उनके साथ शेषनाग ने भी अवतार लिया है. द्वापर युग में श्रीकृष्ण के जन्म से पहले शेषनाग ने बलराम के रूप में अवतार लिया था. बलराम जयंती इस साल 21 अगस्त को मनाई जाएगी. बलराम जयंती को हलषष्ठी और हलछठ के नाम से भी जाना जाता है. यह दिन उन महिलाओं के लिए ज्यादा खास है जो संतान प्राप्ति के लिए व्रत करती हैं क्योंकि इस दिन व्रत और विधि-विधान से पूजा करने पर संतान प्राप्ति का आशिर्वाद मिलता है.
पूजा तिथि
कृष्ण पक्ष की पष्ठी तिथि का शुभ मुहूर्त बुधवार 21 अगस्त सुबह साढ़े पांच बजे शुरू होगा जो 22 अगस्त गुरुवार सुबह 7 बजकर 6 बजे तक रहेगा. मान्यता है कि श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का मुख्य शस्त्र हल और मूसल है, इसी वजह से उन्हें हलधर भी कहा गया है. इस दिन हल बिना चले धरती से उत्पन्न होने नावे अन्न, भाजी खाने का खास महत्व है. गाय के दूध और दही का सेवन वर्जित माना गया है. किसानों के घर हल और बैल की पूजा की जाती है. महिलाएं पुत्र की रक्षा के लिए पूरे दिन व्रत करती हैं और पसई के चावल खाकर पारण करती हैं. बलराम जयंती पर महिलाएं तालाब में उगे फलों या चावल खाकर व्रत करती हैं. व्रत के दौरान दूध से बनी किसी भी चीज का सेवन नहीं किया जाता है.
मान्यता के अनुसार, बलराम जयंती का संतान की प्राप्ति के लिए विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन व्रत और पूजा से भगवान का आशिर्वाद प्राप्त होता है. बलराम जयंती के दिन सुबह उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लें. यह व्रत सिर्फ पुत्रवती महिलाएं ही कर सकती हैं. व्रती महिलाएं इस दिन पूरी तरह निराहार रहती हैं. शाम के समय आरती के बाद फलहार किया जाता है.
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