नई दिल्ली: Lalahi Chhath 2018: सावन के आते ही त्योहारो का आना शुरु हो जाता हैं. बलराम जयंती 2018 में माताएं अपने पुत्र की लंबी आयू और श्रेष्ठ संतान की प्राप्ति के लिए ये व्रत किया करती हैं. ये व्रत भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी की जयंती के रुप में मनाया जाता है. मुख्य रुप से इस दिन बलराम जी का जन्म हुआ था. उन का पसंदीदा शस्त्र हल है इसलिए हल की पूजा होती हैं. और इस पर्व को हल छठ भी कहते हैं.
क्या होता हैं हलषष्ठी 2018 का व्रत
भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को हल षष्ठी भी कहते हैं. हर जगह इस कोअलग अलग नाम से बोला जाता हैं. कहीं इसे हल छठ, ललही छठ या फिर तिनछठी भी कहा जाता हैं. इस दिन हल की पूजा होती हैं इसलिए हल से जुती हुई चीजों यानी अनाज व सब्जियों का भोग नहीं लगाते है. इस दिन महिलाएं तालाब में उगे हुए फलो या चावल खाकर व्रत करती हैं. इस व्रत में गाय के दूध या दूध से बनी हुइ कोई भी चीज का सेवन नहीं किया जाता हैं.
करें बैल की पूजा
बलराम जयंती के दिन हल और बैल की पूजा होती हैं. क्योंकि किसानों का काम इनी से होता है. और साथ ही महिलाएं इस दिन अपने पुत्र की रक्षा के लिए व्रत करती हैं. फिर शाम को तिन्नी के चावल खा कर व्रत तड़ती हैं.
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