नई दिल्ली: जामा मस्जिद ने रविवार को कहा कि 23 अगस्त को भारत भर में बकरा ईद, ईद-उल-अजहा 2018 मनाया जाएगा. यह दिन अपने भक्त द्वारा अपने विश्वास और भक्ति को दर्शाते हुए पैगंबर को किए गए महान त्याग के लिए समर्पित है. ईद-उल-अजहा के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग बकरे या किसी अन्य पशु की कुर्बानी देते हैं। इस्लाम में इस दिन को फर्ज़-ए-कुर्बान का दिन कहा गया है. ये खास त्यौहार हर देश में लगभग अलग-अलर तारीखों में मनाया जाता है. बकरीद मनाने के पीछे एक कहानी प्रचलित है। कहा जाता है कि इब्राहिम अलैय सलाम नामक एक व्यक्ति थे उनकी कोई संतान नहीं थी. काफी मन्नतों से उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम उन्होंने इस्माइल रखा।
एक दिन इब्राहिम को सपने में अल्लाह ने उससे सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी देने के लिए कहा। अल्लाह के हुक्म को न मानना उनके लिए मुमकिन नहीं था, इसलिए वे बेटे की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए. जैसे ही वे बेटे की बलि देने लगे, तभी किसी फरिश्ते ने छुरी के नीचे से इस्माइल को हटाकर एक मेमने को रख दिया. कुर्बानी के बाद जब उन्होंने आंखों से पट्टी हटाई तो देखा इस्माइल सामने खेल रहा है और नीचे मेमने का सिर कटा हुआ है. तब से इस पर्व पर जानवर की कुर्बानी का सिलसिला शुरू हो गया.
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