Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर का मुख्य पुजारी कौन है? जानें उनके जीवन के बारे में

नई दिल्लीः अयोध्या(Ayodhya Ram Mandir) में रामलला का भव्य मंदिर बनकर तैयार है। मंदिर के उद्घाटन, अभिषेक और प्राण-प्रतिष्ठा की लगभग सारी तैयारियां हो चुकी हैं। बता दें कि प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को होगी। मंदिर में रामलला की पूजा और सेवक के रूप में 3000 आवेदकों में 50 पुजारियों का चयन हुआ है। लेकिन […]

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Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर का मुख्य पुजारी कौन है? जानें उनके जीवन के बारे में

Janhvi Srivastav

  • December 18, 2023 7:03 pm Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

नई दिल्लीः अयोध्या(Ayodhya Ram Mandir) में रामलला का भव्य मंदिर बनकर तैयार है। मंदिर के उद्घाटन, अभिषेक और प्राण-प्रतिष्ठा की लगभग सारी तैयारियां हो चुकी हैं। बता दें कि प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को होगी। मंदिर में रामलला की पूजा और सेवक के रूप में 3000 आवेदकों में 50 पुजारियों का चयन हुआ है। लेकिन वहीं बात करें उस पुजारी के बारे में जिन्हें अयोध्या राम मंदिर का मुख्य पुजारी कहा जाता है।

जानें कौन हैं सत्येंद्र दास ?

सत्येंद्र दास आज से नहीं बल्कि पिछले 32 सालों से रामलला(Ayodhya Ram Mandir) की पूजा करते आ रहे हैं। सत्येंद्र दास की उम्र अब 80 वर्ष हो चुकी है लेकिन इसके बावजूद भी उनके स्थान पर रामलला की पूजा के लिए अन्य मुख्य पुजारी का चयन नहीं हुआ। सत्येंद्र दास ही मुख्य पुजारी के रूप में नए मंदिर में रामजी की पूजा करेंगे। बता दें कि रामलला की पूजा के लिए उनका चयन 1992 में बाबरी विध्वंस से 9 माह पहले हुआ था।

सत्येंद्र दास ने क्या कहा?

सत्येंद्र दास जी ने खुद बताया था कि मैंने रामलला की सेवा में लगभग तीन दशक बिता दिए हैं और आगे जब भी मौका मिलेगा तो बाकी जिंदगी भी उन्हीं की सेवा में बिताना चाहूंगा।

जानें सत्येंद्र दास के बारे में

पुजारी सत्येंद्र दास संत कबीरनगर के रहने वाले हैं। वो बचपन से ही अयोध्या में ही रहते थे। अभिदास जी जिन्होंने 1949 में रामजन्म भूमि के गर्भगृह में मूर्तियां रखी थी। बता दें कि अभिदास जी का सत्येंद्र दास के पिता से संपर्क अच्छा था।

अपने बचपन के समय में सत्येंद्र दास जी पर धर्म व आध्यात्म का गहरा प्रभाव पड़ा और उन्होंने पिता के समक्ष संन्यासी बनने की इच्छा जताई। वहीं पिताजी ने भी कोई विरोध नहीं किया बल्कि उन्हें बहुत खुशी हुई। इसके बाद सत्येंद्र दास जी भगवान की सेवा के लिए चले गए।

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